________________ धम्मि- सोऽन्यदा / / वन जगाम न ग्राम-जुषामियमपत्रपा / / 52 // वने वनेचरेणेव / ददृशे ब्रमता / मुना // योगी यो गीयते नाम्नां / रसज्ञ इति विश्रुतः // 53 // मन्येस्य दर्शनादेव / दुत दा | रियमुख्या // श्यानंदादवंदिष्ट / नृत्वा दंडायितः स तं // 55 // अचिरादत्स चूयास्त्वं / श्रीमानित्युऊगार सः / तदाशावीरुधो वृध्यै / वारिधारामिवाशिषं // 55 // श्रास्तां श्रीस्त्वयि संतुष्टे / सकला थपि सिध्यः // स्वयंवरा श्वैष्यति / मामित्यूचे हिजोऽपि तं // 26 // स ततः सततं न. अनेक विकटपो करवा लाग्यो. // 11 // एक वखते ते रसोमाटे लाकमानो गारो लेवाने व: नमां गयो, केमके गामडीया ने आq कार्य करवामां कई शरम थती नथी. // 55 // त्यां पशु. नीपेठे वनमां जमतांथकां तेणे एक योगीने जोयो, केजे रस जाणनार योगीना नामयो प्रसिक हतो. // 53 // हुँ धाएं बु के थाना दर्शनीज मारुं दारिद्य तो चूर्ण थ गयु, एवी रीते या.. नंदना श्रावेशथी तेणे जमीनपर लांबा पडीने तेने वंदन कर्यु. / / 24 // त्यारे ते योगीए पण तेनी आशारूपी वेलमीने पोषवामां जलधारासरखी मोटेंथी एवी आशीष थापी के हे वत्स! तं जलदी धनवान था ? // 55 // त्यारे ते ब्राह्मणे पण कडं के, हे योगीराज! आपनी कृपाथी ल. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.