________________ सार्थ धम्मि. तथाहि पदे पदे स्फुरदृप्र–स्थपुटीकृतरिति / / दुर्निदरदसो दुर्गा / देशोऽस्ति मगधानिधः // 44 // तत्र ग्रामोऽनिरामोऽस्ति / सुग्राम इति विश्रुतः // शाकान्नांबुसुखी पौरा-नजुगुप्सत य. ज्जनः // 45 // ऋछेऽपि तत्र फलिते / तैलिनि तिलपिंजवत् // दिजो दौस्थ्यरजोलुप्त-देहश्रीर नवविवः // 46 // मुक्त्वा दारिद्यमेकं स / नासीत् कस्यापि वल्लनः // आसीन तस्य सत्तायां / गामी, नजर पहोंचाडी कार्य करनारो तथा कलावान , ते पण ब्राह्मणनीपेठे विधातानी चेष्टाने जाणी शकतो नथी. // 43 // ते ब्राह्मणनुं नदाहरण कहे - पगले पगले फालेला खेतरोथी ज्यां जमीन ढंका गयेली, तथा ज्यां दुष्काळरूपी रादा स श्रावी शकतो नथी एवो मगध नामे देश . // 4 // त्यां सुग्राम नामे एक प्रख्यात बने मनोहर गाम , त्यां रहेनारा माणसो शाक अनाज तथा जलथी सुखी थयायका शहेरना लो. कोने पण पोताथी हलका गणता हता. // 45 // एवी रीते ते गाम समृध्विायु तथा फळे ह. | तुं, उतां पण त्यां तेली- शरीर जेम तलना कणोथी तेम दारिद्यरूपी रजथी जेना शरीरनी शो. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.