________________ धम्मि- रहासहा / / सोऽमस्त जोगविघ्नाय / तमोष्टी धिग्मतिब्रमं // 7 // एवं काले हयारूढ / सत्वमा रंगत्वरे. // तज्जनन्यन्यदावादी-विमुक्ताऽदीनकं धवं / / 73 / / समर्पितः सुतः स्वामि-पुण्या य पणस्त्रियः // तदस्तु दूरे दुःप्रापं / तस्य दर्शनमप्यत् // 14 // बहुनिर्दिवसैरास्य-मपि पु. 144 त्रस्य विस्मृतं // हाहा दुःखामिना दग्धा / सुन्द्राद्यापि जीवति // 55 // घटी घस्रति घस्रोऽपि / मासत्येषोऽपि वर्षति // वर्ष युगति मे हर्ष / पुतालोकोनवं विना // 16 // चेन्मामिबसि जीवंती टे. धिकार में तेजना मतित्रमने. // 72 // एवी रीते जाणे घोडे चड्यो होय नहि तेम केटलो. के समय गयाबाद तेनी माताए एक दिवसे निश्चिंत थ बेठेला पोताना जरिने का के, // // 3 // हे स्वामी! जे चतुग शिखवामाटे यापणे पुत्रने वेश्याने सोंप्यो , ते चतुराई तो तेनी दूर रही, परंतु हवे तो.तेनुं दर्शन पण दुर्लन थर पडयु. // 14 // घणा दिवसो व्यतीत थवायी है तो पुत्रनुं मुख पण विसरी ग बु. अरेरे! एवा दुःखामिथी बळेली था सुनना हजु जीवती बेठी में! // 15 // पुत्रने जोवाथी उत्पन्न थयेला हर्षविना मने एक घमी एक दिवस जे. |वी लागे , धने दिवस महिना जेवमो लागे , अने महिनो पण वर्ष जेवलो लागे ने अने | PP.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust