________________ धम्मि-त्रोऽयं / संगतेत्युन्निनाय सः // 63 // स्नानजोज्यादिनक्याथ / सा तथा तमरंजयत् // न मातरं मान पितरं / न बंधून स यथास्मरत् // 64 // स्वं स्वं मनःपणं कृत्वा / कदाचित्तौ परस्परं // मुत्कंद बीजसंकाशैः / सारिपाशैरदीव्यतां // 65 // यादौ मृदु ततो मध्यं / ततस्तारं कदाचन // तौ गा. 142 यंतावशोजिष्टां / किं न किन्नरयुग्मवत् // 66 // प्रश्नोत्तरैः प्रहेलानिः / समस्यानिर्वदावदैः // कदाचिदनुचक्राते / गीष्पतिं च गिरं च तौ // 67 // यः पूर्व कामिनीनाम-श्रवणेनाप्यखिद्यत // र्य के हवे मारा जीवतां या पुत्रनो मने मेलाप थवो नथी. // 63 // हवे स्नान तथा जोजनयादिकनी नक्तिथी ते वेश्या ते धम्मिलने एवो तो खुशी करवा लागी के जेथी तेने माता पिता के बंधुन पण याद अाव्या नहि. // 64 // पड़ी कोश्क समये तेन बन्ने पोतपोताना मनः नी शरत करीने परस्पर हर्षरूपी कंदना बीजसरखा सोगगं पासाथी रमता हता. // 65 // वळी प्रथम धीरे पनी मध्यम रीते तथा पनी जंचे खरे गाता एवा तेन बन्ने शुं किन्नरनी जोडी. नीपेठे शोजतां नहोतां // 66 // वळी को वखते प्रश्नोत्तर हरीयाली समस्या तथा वादविवादथी | तेन बन्ने बृहस्पति तथा सरस्वतीनुं अनुकरण करता हता. // 67 / / जे धम्मिल पूर्व स्त्री- फक्त P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust