________________ धम्मि-| ऽनुरेष / प्राप्तः पुण्यैः पुरातनैः / / सादान्निधिरिवाराध्यो / धम्मिलो निर्जरं त्वया // 4 // तस्यै | समर्प्य तं वीरा / वारीदिप्तगजा श्व / / व्यावर्त्तत वयस्यास्ते / फलितवपरिश्रमाः // 10 // अनन्यन्नेदमप्यस्या / हृदयं वज्ररत्नवत् // सूचीमुखसखप्रज्ञः / स भीत्वा लीलयाविशत् // 51 // सापि तं मधुरालापै-रालापीचारुलोचना // चित्तचौरगिरां यस्मा-त्ता एवोत्पत्तिन्मयः // 5 // स्वा. गतं स्वागतं प्राण-प्रिय पादोऽवधार्यतां // महान मयि प्रसादोऽयं / श्रीयतामिदमासनं // 53 / / ननीपेठे खूब सेववो. // 4 // हवे जेम हाथीने खाडामां नाखे तेम तेणीने धम्मिलने सोंपीने नेदी शकाय एवां पण तेणीना वज्रसरखां हृदयने क्रीमामात्रमा भेदीने कुशाग्रबुध्विालो ते ध. म्मिल तेमां दाखल थयो. // 21 // पनी मनोहर नेत्रोवाळी तेणीए तेने मिष्ट वचनोथी बोलाव्यो, केमके चित्तने चोरनारां वचनोनी नत्पत्तिनां स्थानकरूप ते वेश्याज . // 5 // हे प्रा. Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.