________________ धम्मि- 2 तऊननोत्सवं // तथा यथाधुनान्मौलि-मिलानाथोऽपि विस्मितः // 55 // नीतः सुरेऽदत्ताख्यां मार्ग। पित्रा स्वप्नानुसारतः // शिशुः शशी शुक्रपद / श्वावधत स क्रमात् // 55 // काले कलाकला. | पांचः-सरसे विश्वनृतये // उपाध्यायाय तातस्त-मध्यापयितुमार्पयत् // 56 ।।मणिपूतपयःपा. 13 | न-पुष्टया सारकाष्टया // सुबुधिबेडया शास्त्रां-जोधिं सर्वमगादत // 57 // शास्त्रं दुर्बोधमन्यै र्यत् / तत्राप्यस्यास्फुरन्मतिः // मुक्तापि गलिभिर्न स्याद् / धू|रेयस्य दुर्धरा / / 27 // अमित्रदने पण याश्चर्यपूर्वक पोतानुं मस्तक धुणावू पड्युं // 14 // पनी पिताए स्वप्नने अनुसारे तेनुं सुरेंदत्त नाम राख्यु. तथा शुक्लपदमां चंद्रनी पेठे ते बाळक (पण ) अनुक्रमे वृधि पामवाला ग्यो. ॥५॥पनीयवसरे तेना पिताए तेने श्रन्यासमाटे कलाना समूहरूपी. जलना सरोवर सर. खा विश्वति नामना अध्यापकने सोंप्यो // 56 / / ते ( सुरेंद्रदत्त पण) मणियी पवित्र थयेला जलपानथी पुष्ट थयेली तथा सारतं उत्कर्षवाळी (उत्तमकाष्टथी बनेली एवी) उत्तम बुद्धिरूपी होमीवडे करीने सघळो शास्त्रसमुद्र तरी गयो // 57 // जे शास्त्र बीजानने समजवं मुशकेल ह. | तं तेमां पण या सुरेंद्रदत्तनी बुधि फेलाती हती. कारणकै गळीया बळदोए गेडी दोधेच धोस। P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhakust