________________ धम्मिणिः // ऐंडं वचो दृढयतः / प्रादु यास्य जन्मनि // 50 // अंगजाताहिनश्यति / केऽपि दुष्टव सार्थ णादिव // फलात कधव श्व / लनंते तामना परे // 21 // एकोऽहमेव धन्योऽस्मि / यदवाप्तो ऽस्मि भासुरं / पुत्ररत्नं प्रसूयामुं / रत्नाकरसपत्नतां ॥रशा कार्यो निधिरयं सर्वोऽप्यस्य जन्मो सवेर्थिसात् / अयमेव चिरायुः स्ता-न दूरे संपदः पुनः / / 53 // व्यधानिधानव्ययतः / सोऽ. कनो अपारगाग्यसमुद्र तो जुन ? // 45 // लक्ष्मीना कारणऋत एवा या निधाने तथा बुधिना कारणत एवा था मणिए था बालकना जन्म समये प्रकट थश्ने इंऽनु वचन दृढ करेबुं बे. // 50 // शरीरमा जत्पन्न थयेला गुमडांथी जेम तेम केटलाक ( मनुष्यो) पुत्रयी नाशपामे. तथा केटलाक फळथी बोरडीनी पेठे ताडना पामे // 1 // माटे (खरेखर ) हुंज एक धन्य बुं; के जे आवा कांतियुक्त पुत्ररत्नने पाम्यो बु. तेमज जे या पुत्ररत्नने नत्पन्न करीने रत्नाकरनी तुव्यताने प्राप्त थयो बुं // 55 // माटे या सघg निधान था पुत्रना जन्मोत्सवमां मारे भिक्षुको ने थापी देवू जोइए, फक्त था. पुत्रज दीर्घायु थान, केमके ऽव्यप्राप्ति कंश दूर नयी // 53 / / | (एम विचारीने) तेणे ते निधान वापरीने एवो तो ते पुत्रनो जन्मोत्सव कर्यो के जेथी राजा P.P.Ac GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust