________________ धम्मि- तत्याज / सा यदा न कहाग्रहं / श्रेष्टी तदाह्वयामास / सद्यो ललितगोष्टिकान् // 3 // नारीनुनो | न कुरुते / किमनात्मवशो नरः / / वात्ये स्तिो दहत्यत्र / पावकः पावनं वनं / / 4 // तैराहानदाणा यातै-रंगजं संयमय्य सः // श्रेष्टीति प्रीतये पल्या / मनोबाह्यमवोचत // 5 // अर्पितोऽस्त्येष यु. 110 धमाकं / क्रियतां कामतत्ववित् / / पूरके मयि जेतव्यं / न द्रव्यव्ययतः क्वचित् // 6 // ततस्ते द्यूतनाट्यादि-शालाः स्वैरविहारिणः // समं तेन चिरं तीर्थ-जमीखि सिषेविरे // 7 // अगम्यां - ते तेणे कह्या उतां पण ज्यारे तेणीए कदाग्रह त्यज्यो नहि त्यारे शेठे तुरत व्यनिचारी पुरुषोने बोलाव्या. // 3 // स्त्रीए प्रेरेलो पुरुष पराधीन थश्ने शुं नथी करतो? केमके aa जगतमां वायुए प्रेरेलो अनि पवित्र वनने पण बाळी नाखे बे. // 4 // बोलावती वखतेज थावेला ते व्यनिचारीनसाथे पोताना पुत्रने जोडीने शेठे मन नहि छतां पण स्त्रीने राजी राखवामाटे तेजने के. हां के, // 5 // बाजथीया (अमारो पुत्र ) तमोने सोंप्यो , तेने तमारे कामचेष्टामां प्रवीण कस्खो, वळी हं तमोने द्रव्य पूरुं पाडीश, माटे क्यांय पण खरचथी तमारे मखु नहि. // 6 // प. जी ते व्यभिचारी मिलो पोतानी इलामुजब धम्मिलने साथे लेश्ने जुगारखानां तथा नाटकशाः | Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasuri M.S.