________________ 10 धम्मि- प्रतीकारो विकारिणः / को नाम सुश्रुतादन्यो / यौवनस्यामयस्य च // एवं // मोहावर्तममान साई मानमकरं रागोर्मिसंवर्मितं / तृष्णावेगमनंगसंगसलिलं पापौघपंकाकुलं // ये वापि स्खलिता न यौवनसरि पूरं तरंतो महा-सत्वास्ते खलु तारकाः किमितध्यावतारैर्नरः // 1 // तत्त्वं तत्वदृशे| दस्ख / मुंच मुंच कदाग्रहं / / भाग्यैर्नस्तनुजः शास्त्र-ध्यानेऽधीयत यौवने // 5 // तेनेत्युक्तापि नी सोबतथी कया कया माणसो ( पोताना ) निर्मल कुलमां कलंक लगांडता नयी ? // ए॥ त्रिदोषवाळा ( सन्निपातवाळा ) अने विकार करनारा था यौवनरूपी रोगनो उत्तम शास्त्रविना (सुश्रुत नामना वैद्यक शास्त्रविना ) बीजो कयो श्लाज ? | ए // मोहरूपी जमरीवाला. थति अहंकाररूपी मगरखाळा, रागरूपी मोजांनथी भरेला, तृष्णारूपी वेगवाळा, कामसंगरूपी पा. पीवान तथा पापोना समूहरूपी कीचडवाला यौवनरूपी नदीना पूरने तरनारा जे महा वीर्यवान माणसो क्यांय पण स्खलना पाम्या नथी तेज खरेखरा तारनारा , ते शिवायना फोकट जन्मे ला पुरुषो शं कामना ? // 1 // माटे (हे प्रिये!) तुं तत्वदृष्टियी जो? अने कदाग्रह डोमी | दे ? जाग्योथीज थापणो या पुत्र युवावस्थामां पण शास्त्रध्यानमां जोमायो जे. // // एवी री: P.P.Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust .