________________ धम्मि- // व्यदार्यत कुरीनि-खि तस्य हृदन्वहं // 5 // नदरिण्यामथो तस्यां / जाविस्वव्ययशंकया / मा स ममङ निरालंबं / चिंतावा? कवीश्वरः // 53 // तन्वंगीतनयग्रास-वासःसंसाधनं धनं ॥ध्या. यतस्तस्य गलितं / कवित्वकलया क्रमात् // 24 // यास्तां पंचशती तस्या-न्यदा गाथे जो बवि॥ बास्तां चिंताशिलाक्रांते / वोगतुमनीश्वरे // 55 // भ्रष्टप्रशार्चिषं दीण-कलं दर्श श. थी, बाजे घी नथी, इत्यादि कुहाडीसरखां वचनोथी ते हमेशां तेनुं हृदय विदारखा लागी. // // 55 // पती ज्यारे ते गर्भवती थश्त्यारे थनारा धनना खरचनी शंकाथी ते कवीश्वर निराधार थश्ने चिंतारूपी समुद्रमां मुब्यो. // 13 // स्त्री तथा पुत्रना भोजन तथा कपमांना साधनरूप ध. ननुज ध्यान धरतां थकां अनुक्रमे तेनी कवित्वशक्ति घटती गइ. // 55 // अने तेथी तेनी पां. चसो गाथा तो एक बाजु रही, परंतु बे गाथा पण जाणे चिंतारूपी पबरथी दवाइ गइ होय नहि तेम ( तेना मुखथी) प्रकट थश् शकी नहि. // 25 // एवी रीते अमावास्याना चंडनीपेचे तेनुं बुधिरूपी तेज नष्ट थवाथी अने कवित्वकलानो दय थवाथी राजाए तेने एक दिवस पूज्यु Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.