________________ धम्मि| रा देव / कविरेवः किमेककः // 4 // नदूह्य पुत्रपौत्रादि-वेष्टितोऽनुजविष्यति // यदा कुटंविमाई तामेष / कीर्त्यन्मेषस्तदैव ते // 4 // नृपोऽथ तहचः सत्यं / मन्वानो मंदवयाचत // कन्यां क स्यापि रूपाब्यां / शवैः को नात्र वंच्यते // 4 // कन्यामवश्यमुद्दाह्यां / सोऽपि तस्मै ददौ मुदा 117 // वैवाहिकीगवन् नमी-पतिः कस्मै न रोचते // 50 // कविमिनुजा क्लृप्त-पाणिग्रहणमंगलः | // वधूमादाय तद्दत्त-गृहे पृथगवस्थितः / / 51 // अद्य तेलं घृतं चाय / नास्ती याद्युक्तिजिस्तया दिन ए सर्वे दंपतीधर्मवाळा होय , त्यारे (थापनो) था कवि शामाटे एकाकी रहे? // 4 // माटे ते परणीने पुत्रपौत्रादिकना परिवारवाळो थयोथको ज्यारे कुटुंबीपणुं अनुनवशे त्यारेज श्रापनी कीर्ति फेलाशे. // 4 // हवे एवी रीतनुं तेनुं वचन सत्य मानीने राजाए (ते कविमा टे) कोश्कनी स्वरूपवान कन्यानी तुरत मागणी करी, केमके यहीं उगोथी कोण वंचित यतो नथी? // 4 // कन्याने तो अवश्य परणाववीज जोश्ये (एम विचारीने ) तेणे पण हर्षथी ते कविने कन्या थापी, केमके वहेवाश् थतो राजा कोने रुचे नहि ? // 50 // परी राजाए परणाव्याबाद ते कवि पत्नीने लेश् राजाए आपेला घरमां जूदो रह्यो. // 51 // पनी भाजे तेल न. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust