________________ धम्मि-| रुण्य-कवितादिगुणावली // विलीयते ध्रुवं नारी-संगादत्र कथां शृणु // 27 // आसीत्पुरा पु. / रे भोग-पुरे राजारिमर्दनः // प्रतापानांतदिक्चकः / श्रिया शक वापरः // 20 // तश्च कोऽपि गोपाल-श्वारयन् धेनुकं वने // सांद्रपुमतलासीनः / सहसोल्लासमासदत् // 30 // अज्ञानतिमि| रवंशे / तस्यापभ्रंशाषया // नन्मिमील कवित्वाख्यं / ज्योतिराकस्मिकं तदा // 31 // पाशुपाल्यं ततस्त्यक्त्वा / पशुसाम्यकरं नृणां / / कलाफलार्थी गोपालो / नृपालस्य सजां ययौ // 32 // अ. थैरजिनवैः प्रौढ-कवीनामप्यगोचरैः / / कृत्वा हृयानि पद्यानि / स तुष्टाव धराधवं // 33 // चमत्कृके दृष्टांत सांजलो? // // पूर्वे भोगपुर नामना नगरमां अरिमर्दननामे राजा हतो, ते पोता ना प्रतापथी दिक्चक्र जीतीने लक्ष्मीथी बीजा इंडसरखो शोमतो हतो. // 2 // एवामां को एक गोवाळ वनमां घाटां वृदनीचे बेशीने गायो चरावतोथको एकदम नल्लास पाम्यो. // 30 // ते वखते अज्ञानरूपी अंधकारनो नाश थवाथी तेने अपभ्रंश भाषामां अकस्मात कविपणानी श. क्ति उत्पन्न थ. // 31 // परी माणसोने पशुसमान करनारुं पशुपालपणुं तजीने ते गोवाळ पो. तानी कळानुं फल मेळ्ववामाटे राजानी सनामां गयो. // 35 // महाकविनने पण अगम्य एवा P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust