________________ धम्मि- श्रेष्टिनः सोऽपि / हर्षो वाचामगोचरः॥ 7 // सदालिदयितं लक्ष्मी निलयं सुगुणोदयं / / सुनद्रा समयेऽसूत / सरसीवाजमंगजं // 10 // मन्वानो लदकोटीनां / लानादन्यधिक सुतं // युक्तं त ज्जन्मनि उव्य-मव्ययमदशः पिता // 11 // राजमान्यः स राजेव / तेने तनयजन्मनः / वर्य१०० | तूर्यत्रयप्रीत–पौरलोकं महोत्सवं // 15 / / मया विदधता धर्म-मयं लब्ध ति व्यधात् // सूनो नयेल पुत्ररूपी सूर्यवाळी एवी ते सुनद्रा प्रजातकाळनी संध्यासरखी शोजवा लागी. // 7 // (पोतानी) पत्नीने गर्भवती जोश्ने हवे पुत्र थशे, एवा विचारवाळा शेठने जे हर्ष थयो ते व. चनथी कह्यो जाय तेम नथी. // ए॥ सङनोनी श्रेणिना स्वामिसरखा (हमेशां नमरानने थानंद श्रापनारा ) लक्ष्मीना स्थानरूप तथा उत्तम गुणोना जदयवाळा ( सारा तंतुनना नदयवाळा ) एवा हमलने जेम तळावमी तेम सुनदाए (योग्य ) समये पुत्रने जन्म आप्यो. // 10 // लाखो क्रोमोना लागथी पण अधिक एवा पुत्रने माननारा पिताए तेना जन्मसमये जे लाखोग. मे द्रव्य खरच्युं ते युक्तज जे. // 11 // राजाना मानीता एवा ते शेठे राजानीपेठेत्रणे प्रकारनां वाजित्रोथी खुशी थयेल ने नगरना लोको जेथी एवो पुत्रनो जन्मोत्सव को. // 12 // मने Jun Gun Aaradhak Trust PP.AC.Gunratnasuri M.S.