________________ धम्म स्वां जिवां / पुनातिस्म पदे पदे // // // तपस्तप वत्तीवं / तेनाचाम्लादि निर्ममे // अाजदावः / / सार्थ नासिंधु-स्तत्र चित्रं न तानवं // 5 // अयं घोषयामास / राजादेशमवाप्य सः // कारयामास | जैनेषु / चैत्येष्वष्टाहिकामहं // 6 // अयानुन्नावाधर्मस्य / सांनिध्याच दिवौकसां // माणिक्यमिव 100 | मेदिन्या / दध्रे गर्नः सुगड्या // 7 // कौसुंने विभ्रती वस्त्रे / चिरादितिमिरानना // अंतढिसु. तादित्या / प्रातःसंध्येव सा बनौ / / // अंतर्वनों वीक्ष्य पत्नीं। सुतसंन्नावनाजुषः // जज्ञे यः हधारी होडीसरखी बनावी. // 3 // वळी ते पत्नीसहित हमेशां पंचपरमेष्टिना नमस्कारना स्मरण रूपी अमृतनी धाराथी पगले पगले पोतानी जिह्वाने पवित्र करवा लाग्यो. // 4 // नष्णकालनीपेठे ते आयंबिलयादिक तीव्र तप तपवा लाग्यो, थने ते वखते तेनो जावनारूपी समुद्र जे वि. स्तार पाम्यो तेमां कई आश्चर्य नथी. // 5 // वळी तेणे राजानो हुकम मेलवीने अमारीपटह व. जडाव्यो, तथा जिनमंदिरोमां अधाश्महोत्सव कराव्यो. // 6 // हवे धर्मना प्रजावयी तथा देवो. ना सहायथी पृथ्वी जेम माणिक्यने तेम सुगद्राए गर्भने धारण कर्यो. // 7 // कसुंबी वस्त्रने धा रण करनारी तथा घणे काळे अंधकाररहित (शोकरहित ) मुखवाळी, तथा गुप्तरीते अंदर नस्प P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust