________________ धम्मि- ख्यं सुकृतं विना // जय // चैत्ये पूजा गुरौ शक्ति-र्दीने दानं जपस्तपः / / सर्वाधिदुर्गनंगाय / पं.। सार्थ | चैते वज्रमुजराः // 70 // प्रकृत्या निर्मलः श्रेष्टी / तां प्रजाकरजामिव // शिदां प्राप्य मुनेर्जज्ञे / / सूर्याश्मेवाधिकातिः // 1 // चैत्यपूजां मुनिमुखा-तदाकार्य सुनद्रया / / कन्यात्वे यत्पतिझातं 105 / तत् स्वामिव सस्मरे // 7 // दध्यौ च ही प्रमादेन / जाताहं स्ववचच्युता // विवाहबद्ममदिरा-पानचोरितचेतना // 73 // न जल्पतामपि तया / जिये मम नृणामृणं // बजटपतोऽपि दे. सत्य जावविना जेम मित्रा थती नथी तेम पुण्यविना सुख मळतुं नथी. // // जिनेश्वरप्रभुनी पूजा, गुरुनी जक्ति, दीन लोकोने दान, जप तया तप ए पांचे सर्व दुःखोरूपी किल्लाने तो वामां वज्रना मुझरसरखां . // 50 // वजावधीज निर्मल एवो ते सुरेऽदत्तशेठ सूर्यनी कांति सरखी मुनिनी ते शिखामण मेलवीने सूर्यकांत मणिनीपेठे अधिक कांतिवाळो थयो. // 1 // वळी मुनिना मुखथी जिनपूजार्नु वृत्तांत सांजलीने सुनद्राए कन्यापणामां जे प्रतिज्ञा करी हती तेने ते स्वमनीपेठे याद करवा लागी, // 2 // तथा विनारवा लागी के विवाहना मिषरूपी म दिरापानथी जान ली जश्ने में मारुं वचन पाव्यु नथी. // 53 // नहि बोलता एवा पण देः P.P.AC.'Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust -