________________ धम्मि पीद-वदने नंदनेबया // बलवत्प्राक्तनं कर्म / बलवान सोऽप्युपक्रमः // 65 // कर्मणा ग्लानतां मानीतो / न वैद्यैः किं चिकित्स्यते / मंत्राद्यैः स्यान्न किं धीमान / जडीबतोऽपि कर्मणा // 66 // कर्मणा पातितो नद्यां / तार्यते तारकैन किं // नात्मा किं कर्मनिर्बको / मुक्तौ धर्मेण नीयते / / | in 67 / / फलं प्रलंबधुशिरोऽधिरोहि / निरीक्ष्य ताम्यंत्यलसाः प्रकृत्या // तदेव कृत्वा कुटिका (ल. कुटी) प्रयोगं / गृहंति ये वीर्यधना जनाः स्युः॥णाश्त्याश्वास्य प्रियां प्रीति-वचनैरुन्मनायितां // श्रे यत्न करीश, केमके जेम पूर्वन कर्म बलवान में तेम उद्यम पण बलवान बे. // 65 // जे मा. स कर्मथी रोगी थयो होय ते शुं वैद्योथी साजो थतो नथी? तेमज जे कर्मयी मूर्ख होय ते पणं शुं मंत्रयादिकथी बुध्विान थतो नथी? // 66 // कर्मे नदीमां पाडेलाने शुं तारुन नथी तारी शकता? तेमज कर्मे बांधेला यात्माने शुं धर्म मुक्तिमां नथी ले जतो? // 67 // नंचां वृदनी टोचंपर रहेलो फलने जोश्ने स्वभावथी बालसु माणसो खेद पाम्या करे ने, परंतु जे मा. सो उद्यमवान ने तेन लाकडीनो प्रयोग करीने ते लहे . // 60 // एवी रीते खेदित थयेली प्रियाने मीगं वचनोथी शांत करीने शेठे जे जे. कई सांगत्यु ते ते सघg पुत्रमाटे कर्य. P.P. Ac. Cunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust