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________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र बहुत दूर तक और देर तक दौड़ लगाने से थका हुआ राजा पसीने से तरबतर हो गया था। इसलिए राजा ने घोड़े को वटवृक्ष के थड़ से बाँध दिया और राजा सरोवर के पास आया। सरोवर निर्मल जौर शीतल जल से लबालब (भरा हुआ) था। सरोवर का किनारा चारों ओर से स्फटिक रत्नों से बना हुआ था। राजा ने सरोवर के निर्मल नीर से अपने हाथ-पाँव मुँह आदि धोए / फिर उसने कुछ देर तक किनारे पर बैठ कर विश्राम किया, शीतल जल पीकर उसने अपनी प्यास बुझाई। फिर वह सरोवर के आसपास घूम-घूम कर वहाँ की शोभा देखने लगा। घूमते-घूमते राजा की नजर अचानक सरोवर में होनेवाली एक लोहे की जाली पर पड़ी। राजा ने बारीकी से देखा तो उसे पता चला कि लोहे की जाली के नीचे अनेक सीढियाँ है और नीचे की ओर जाने के लिए कोई रास्ता है। राजा ने कुतूहल से वह लोहे की जाली दूर की और निर्भयता से नीचे उतरने लगा। कुछ देर तक नीचे उतरने के बाद राजा एक गुप्त स्थान पर आ पहुँचा। वहाँ से और थोड़ा दूर जाने पर राजा ने पाताललोक का एक विशाल वन देखा / राजा निर्भय बन कर उस वन में आगे-आगे चलता गया। अचानक राजा के कानों पर किसी लड़की के रोने की आवाज आई। राजा के मन में बड़ा आश्चर्य हुआ कि यहां पाताल में ऐसे निर्जन वन में किसी लड़की के रोने की आवाज कहाँ से आई होगी ? निश्चय ही कोई रहस्यमय बात है। लडकी के रोने की आवाज बड़ी ही करुण और हृदयस्पर्शी लगती है / लगता है कि बेचारी किसी विपत्ति में फँसी हुई हैं / परोपकारी, धैर्यवान और पराक्रमी राजा ने विचार किया कि यह समय आया हुआ अवसर गँवा देने का नहीं है। इसलिए राजा उस दिशा में तेजी से चलने लगा जिस दिशा से लड़की के रोने की आवाज आई थी। कुछ ही देर में राजा उस स्थान पर पहुँच गया। इधर उधर देखने पर राजा को पता चला कि वहाँ एक योगी ध्यानस्थ अवस्था में बैठा हुआ है। योगी की आंखें बंद थीं। उसके हाथ में फूलों की माला थी और उसके सामने पूजा की सामग्री पडी हुई थी। योगा के पास ही एक अग्निकुंड था। उसमें से अग्नि की ज्वालाएँ निकल रही थी। अग्निकुंड के पास एक लड़की बैठी हुई थी। लड़की के हाथ और पाँव मजबूत रस्सी से बँधे हुए थे। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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