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________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र वह लडकी बैठे-बैठे करुण स्वर से रो रही थी। उसकी आँखों से आँसुओं की धारा बह रही थी। राजा तुरन्त सारी परिस्थिति समझ गया। वह उसी क्षण लड़की के सामने जाकर खड़ा हो गया। राजा को अपने पास आया हुआ देख कर वह लड़की बोली, ' "हे आभा नरेश, आप तुरन्त मेरे प्राणों की रक्षा कीजिए। यह दुष्ट नराधम योगी बलि चढाने के लिए मुझे यहाँ उठा कर ले आया हैं।" __ उस लडकी की बात सुन कर राजा के मन में बड़ा आश्चर्य हुआ कि इस अपरिचित लड़की को मेरा नाम कहाँ से मालूम हुआ होगा। राजा ने लड़की को शांत और स्वस्थ रहने को संकेत से कहा। राजा धीमे-धीमे योगी के पास पहुँचा, उसने हिम्मत से योगी के पास पडी हुई तलवार उठा ली और फिर उसने योगी को ललकारा, “हे निर्दय / हे निर्लज्ज !! हे पापी ! हे / दुरात्मा !! अब अपना वक्र ध्यान छोड कर मेरे साथ युद्ध करने को तैयार हो जा। अब तू अपने इस देवता का स्मरण कर ले। अब तू जान ले कि तेरे पाप का घडा भर गया हैं। मैं देखना ही। चाहता हूँ कि तू मेरे सामने इस निरपराध लडकी की बलि कैसे चढाता हैं / अब मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा। दुष्टो को दंड देना और विपत्ति के समय सज्जनों की रक्षा करना यह हम क्षत्रिय राजाओं का धर्म है / मैं अपना धर्म अवश्य निभाऊँगा / तू मरने के लिए तैयार हो जा। अचानक ही राजा की ललकार सुन कर योगी बहुत धबरा गया। उसने अपने चारों ओर नजर दौड़ा कर देखा, तो उसे अपने तलवार कहीं दिखाई न दी। इसलिए अब आत्मरक्षा का अन्य कोई उपाय न दिखाई देने से वह अपने प्राणों के भय से वहां से भाग निकला। अनजाने प्रदेश में भागते हुए योगी का पीछा करना खतरे से खाली नहीं है यह जान कर राजा वहीं खडा रहा। कुछ देर बाद राजा उस लडकी के पास चला गया। उसने लडकी के सारे बंधन खोल दिए / है और उसे मुक्त कर दिया। / राजा ने उस लडकी से पूछा, “हे सुंदरी, तू किसकी पुत्री है ? तू इस दुष्ट योगी के शिकंजे में कैसे फंस गई ? मुझे यह भी बता दे कि तू मुझे केसे जानती है ?" ... ___अब निर्भय बनी हुई लडकी ने स्वस्थचित होकर कहा, “हे राजन्, मैं वीरसेन राजा को / पहले से ही पहचानती हूँ। वे मेरे भावि पतिदेव हैं / मैं उनके चरणों में अपना जीवन समर्पित P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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