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________________ 4 न्द्रराजर्षि चरित्र लिए यह विवाहसंबंध निश्चित करने से पहले आप मन में पूरा विचार कीजिए। इस काम वल करना उचित नहीं लगता है।" .. मंत्री की सलाह मान कर राजा ने उन विदेशी व्यापारियों को फिर अपने पास बुला कर "देखो, तुम सब लोग मिल कर मेरा एक काम करो। तुम सब हमारे मंत्रियों के साथ पुरी चले जाओ और राजकुमार का रूपसौंदर्य अपनी आँखों से देख कर फिर राजकुमार वज और राजकुमारी प्रेमलालच्छी का विवाहसंबंध निश्चित कर लो। यदि तुम मेरा सा काम करोगे, तो मैं तुम्हारा हमेशा ऋणी रहूँगा।" व्यापारियों ने राजा की बात सुन कर कहा, “महाराज, इतना काम तो आपके न कहने - .. हमें करना ही चाहिए। आप खुशी से अपने मंत्रियों को हमारे साथ सिंहलापुरी के लिए / यदि कार्यसिद्धि हो गई और यह विवाहसंबंध निश्चित हो गया, तो हमें बड़ी खुशी - हम अपनी ओर से हर संभव कोशीश करेंगे।" .. व्यापारियों की बात सुन कर खुश हुए राजा ने अपने चार चतुर मंत्रियों को उन विदेशी रयों के साथ सिंहलपुरी भेज दिया। सिंहलपुरी पहुँच कर मंत्रीगण सिंहलनरेश के सम्मानित न बने / राजा ने मंत्रियों का आदरातिथ्य कर उनका बहुत सम्मान किया। फिर मंत्री त मे राजा के पास गए और उन्होंने राजा को अपने आने का प्रयोजन बताया। . चार मंत्रियों में सब से कुशल मंत्री ने राजा से कहा, "महाराज, हम सोरठ देश से आए मारे महाराज मकरध्वज ने अपनी इकलौती पुत्री प्रेमलालच्छी की सगाई आपके सुपुत्र मार कनकध्वज के साथ करने के उद्देश्य से हमें यहाँ भेजा हैं। हमारे महाराज की सुपुत्री . रूपवती और विदूषी है। हमने सुना है कि राजकुमार कनकध्वज भी कामदेव के समान हैं। इसिलिए यह सगाई हो सकी तो वह मणिकांचन योग होगा। आप इस काम के लिए स्वीकृति दे दे, तो हमारा यहाँ आना सार्थक हो जाएगा।" : मंत्री की बात सुन कर राजा ने कहा, “देखिए, ऐसे काम में उतावली करना उचित नहीं रज का फल हरदम मीठा होता है / आप लोग कुछ दिन यहाँ रहिए, हमारा आतिथ्य र कीजिए। फिर मैं सम्यक विचार कर आप लोगों को मेरा निर्णय बता दूंगा।" P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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