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________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र मंत्री की बात सत्य मान कर और उसे स्वीकार कर राजा ने राजसभा विसर्जित की। :: राजा जंगल में पशुओं का शिकार खेलने को गया। उस समय वह मंत्री राजा के पास ... / राजा थका हुआ था। इसलिए राजा और मंत्री दोनों जंगल में होनेवाले सरोवर के . गरे पर बैठ कर विश्राम करने लगे। उसी समय उसी मार्ग से जानेवाले कुछ व्यापारी प्यास ने से पानी पीने के लिए उसी सरोवर के किनारे पर आए। व्यापारियों ने पानी पिया और वे | को तैयार हुए। तब राजा ने व्यापारियों को अपने पास बुलाकर पूछा, “तुम लोग देशतर में घूमनेवाले व्यापारी लगते हो। अपने देशाटन में यदि तुम लोगों ने कोई आश्चर्य . . -सुना हो, तो मुझे बताइए।" राजा की बात सुन कर व्यापारी राजा के पास बैठे और देशतर की बातें कहने लगे। व्यापारियों ने बताया, __"महाराज, कई दिन पहले हम लोग सिंध देश में गए थे। वहाँ की नगरी सिंहलपुरी पर | कनकरथ राज्य करता है। उसके पुत्र राजकुमार कनकध्वज के रुपसौंदर्य की बात चारों - ... / फैली हुई है। राजकुमार अत्यंत सुंदर है, इसलिए राजा उसे गुप्त महल में रखकर उसका निपालन कराता है। राजकुमार को उस गुप्त महल से निकालने में राजा बहुत धबराता हैं, के वह सोचता है कि अगर उसके पुत्र को किसी की बुरी नजर लग जाए, तो उसके . नौता पुत्र बीमार पड़ जाएगा, ओर फिर न जाने उसका क्या होगा। इसलिए राजा अपने कुमार को कभी उस गुप्त महल से बाहर नहीं निकालता है / महाराज, हमने अपने भ्रमण ह बड़ी आश्चर्यकारक बात देखी है।" " / इन विदेशी व्यापारियों से भी कनकध्वज के रूपसौंदर्य का वर्णन सुन कर राजा के मन सके रूपसौंदर्य के बारे में अब कोई आशंका नहीं रही। इसलिए राजा ने उसी समय ..... कुमार कनकध्वज के साथ अपनी इकलौती कन्या प्रेमलालच्छी का विवाह कराना निश्चत लिया। राजा के पास बैठे हुए चतुर मंत्री ने राजा के मन की बात जान कर राजा से कहा, राज, आँखों देखी और कानों सुनी में बहुत अंतर होता है / अपनी आँखों से राजकुमार (खे बिना आप निर्णय मत कीजिए। जब आपके सेवक उस राजकुमार को अपनी आँखों से कर कहेंगे कि विदेशी व्यापारियों की कही हुई बात सत्य हैं, तभी आप इस सबंध के बारे में --- कीजिए / महाराज, यह कोई सामान्य बात नहीं है, राजकुमारीजी के पूरे जीवन का प्रश्न P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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