________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र .. राजा मकरध्वज ने न व्यापारियों से उनके देश का तथा राजा का नाम पूछा। व्यापारियों ने बताया, “महाराज, हम लोग सिंधु देश के निवासी हैं / सिंधि देश में अल्कापुरी का तरह सिहलपुरी नगरी है। वहाँ कनकरथ नाम का राजा राज्य करता है। राजा के कनकध्वज नाम का कामदेव की तरह सुंदर पुत्र है। इस राजपुत्र को जन्म से ही गुप्त महल में रखकर लालनपालन किया जा रहा है। नगरजन प्रतिदिन उसके दर्शन के लिए लालयित रहते हैं। लेकिन राजकुमार को गुप्त महल में से बाहर निकाला जाए तो शायद किसी की कुद्दष्टि उस पर पड़ेगी, इस आशंका के कारण राजा निरंतर राजकुमार को गुप्त महल में ही रखता है। इस कारण से अब तक किसी ने भी उस राजकुमार को देखा नहीं है, लेकिन सुना जाता है कि वह सौंदर्य की दृष्टि से कामदेव के समान है।" विदेशी व्यापारियों की कही हुई ये बातें सुनकर राजा मकरध्वज बहुत खुश हुआ। राजा ने व्यापारियों को वस्त्रादि देकर उनका सम्मान किया और उन्हें विदा किया। फिर राजा मकरध्वज ने अपने मंत्री को बुलाया और उसको विदेशी व्यापारियों से सुना हुआ राजकुमार कनकध्वज के रूपसौंदर्य का वर्णन सुनाया। राजा मकरध्वज का मंत्री बुद्धिमान् और चतुर था इसलिए उसने राजा से कनकध्वज के सौंदर्य का वर्णन करने के बाद पूछा, “महाराज, आप यह वर्णन मेरे पास क्यों कर रहे हैं ?' राजा मकरध्वज ने अपने मंत्री को बताया, 'मंत्रीजी, बहुत दिनों से हम लोग राजकुमारी प्रेमलालच्छी के लिए योग्य वर की खोज कर रहै हैं, लेकिन अभी तक हमें कोई योग्य वर नहीं मिला है। लेकिन आज सिंहलपुरी के इन विदेशी व्यापारियों के मुँह से राजकुमार कनकध्वज के रूपसौंदर्य की बात सुन कर मेरे मन में यह विचार आया है कि यदि इन व्यापारियों की कही हुई बातें सच हों, तो हम कनकध्वज राजकुमार के साथ अपनी राजकुमारी प्रेमलालच्छी की सगाई कर दें। ऐसा दूसरा वर मिलना बहुत कठिन ही / यदि तुम्हारी अनुमति हो, तो हम यह विवाहसंबंध निश्चित करना चाहते हैं। बुद्धिनिधान मंत्री ने राजा से कहा, “महाराज राहगीरों के वचनों पर कैसे विश्वास किया जाए ? सभी विदेशी लोग अपने-अपने देश की प्रशंसा करते ही हैं। महाराज, क्या कोई अपनी माँ को डाकिनी कहता है ? कोई भी सास अपना दामाद कुरुप और काना हो, तो भी उसके रूप की प्रशंसा ही करती है न ? यहाँ आए हुए इन विदेशी व्यापारियों की बातों में मुझे बिलकुल विश्वास नही होता है। मेरी राय तो यह है, आगे अब आपकी मर्जी।" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust