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________________ 53 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र हम लोग तो यहां आपकी कृपा की अपेक्षा करते बैठे हैं। हमारे मन में पूरा विश्वास हैं कि आप हमारी आशा अवश्य पूरी करेंगे।" जब यह वार्तालाप चल रही थी, तब राजमहल के उस कक्ष में सिंहलनरेश, उनकी , रानी, पुत्र कनकध्वज और महामंत्री हिंसक को छोड कर अन्य कोई नहीं था। एकांत जान कर चंद्र राजा ने सिंहलनरेश से स्पष्ट शब्दों में कहा, 'महाराज, आपका जो काम हो, वह स्पष्ट शब्दों में कह दीजिए। आपके स्पष्ट रूप में काम बताए बिना मुझे कैसे पता चलेगा कि मुझे आपका कौन-सा काम करना है ? उधर बाहर विवाह-महोत्सव का काम चल रहा है और इधर आप सब लोग यहाँ चिंतातुर दिखाई दे रहें है इससे आपके काम का स्वरूप जाने बिना में आपका काम कैसे कर सकुँगा ? इसलिए आपका जो काम हो वह तुरन्त बता दीजिए, क्योंकि मुझे सुबह होने से पहले आभापुरी वापस पहुँच जाना आवश्यक है। दूसरी महत्त्वपूर्ण बात यह कि आप मुझे यह भी बता दीजिए कि आपको मेरा नाम, खानदान आदि की जानकारी कैसे और कहाँ से मिल गई ?" चंद्र राजा के प्रश्न सुन कर सिंहलनरेश ने अपने महामंत्री हिंसक को इन प्रशनों के उत्तर में देने का संकेत किया। राजा से संकेत पाकर महामंत्री हिंसक ने कहा, “हे आभानरेश, आप हमारे रक्षणकर्त हैं। आप ही हमारी आशा के एकमात्र स्थान हैं। इसलिए हम आपसे कोइ बात | छिपाना नहीं चाहते हैं। पाँवों में धुंधरु बाँधने के बाद नाचना तो पडता ही हैं। किर आनाकानी करने से क्या लाभ ? आपके सामने सारी बातें सच-सच कहने में हमें बिलकुल संकोच नहीं है। "महाराज, आप हमारे राजकुमार कनकध्वज के लिए बहाना बनाकर राजकुमारी प्रेमलालच्छी -से विवाह कर लीजिए / बस, इसी विशेष काम के लिए हमने आपको यहाँ बुला लिया है। हमें पूरा विश्वास है कि आप हमारी यह प्रार्थना अवश्य स्वीकार कर लेंगे। यह काम करने की कृपा कीजिए, महाराज।" हिंसक मंत्री की कही हुई बातें सुन कर चंद्र राजा ने पूछा, “आप लोग राजकुमार कनकध्वज के लिए मुझे राजकुमारी प्रेमलालच्छी से विवाह करने को क्यों कह रहे हैं ? हम तो राजकुमारी प्रेमलालच्छी का राजकुमार कनकध्वज के साथ विवाह होनेवाला है यह जान कर तो यह विवाह महोत्सव देखने के लिए ठेठ आभापुरी से यहाँ 1,800 योजन दूरी पर विमलापुरी आ पहुँचे है। मेरी तरह अन्य भी अनेक लोग आभापुरी से यह विवाह-महोत्सव देखने के लिए आए हैं। सब लोगों से यही सुनाई दे रहा हैं कि सिंहलनरेश के पुत्ररत्न कनकध्वज के साथ P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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