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________________ 12318 51 राजर्षि चरित्र :: न और आपकी कीर्ति सुनकर हमारा हृदय-कमल विकसित होता था / आज प्रत्यक्ष पके दर्शन करने का सुनहरा अवसर मिलने से हमारे आनंद का कोई पार नहीं रहा है मारी-सारी आशाएँ सफल हो गई है / हे आभानरेश, आप सकुशल तो हैं न ? आप नर्यामी हैं, हमारे सिर के मुकुट हैं। जैसे मोर मेघों को देख कर नाच उठता है, चकोर देख कर प्रसन्न होता है, गाय अपने बछड़े को देख कर खुश होती है, वैसे ही आज र्शन से हमारा मन बहुत प्रसन्न हो गया है ! हम खुश हैं, बहुत खुश हैं ! आभानरेश, आपके आगमन से आज हमारा जीवन सफल हो गया है। प्रभुकृपा के पुरुषों के दर्शन दुर्लभ होते हैं। अब हम आपका कैसे स्वागत करें ? आपके सामने हम रणों की धूलि के समान हैं / महाराज, यदि आप हमारे राज्य में पधारे हैं तो, आपका स्वागत कर हम कृतार्थ हो जाते। लेकिन महाराज, यह तो विमलापुरी है। यह नगरी भी विदेश समान ही है / यहाँ हम अपने पुत्र कनकध्वज का विवाह यहाँ के राजा की पुत्री प्रेमलालच्छी के साथ करने के उद्देश्य से सपरिवार आए हुए हैं ! हमने जिस द्देश्य से आपको यहाँ इतने आग्रह से बुलाया है, उसके बारे में हमारे महामंत्री हिंसक वस्तार से बताएंगे।" - सना कह कर सिंहलनरेश ने अपने महामंत्री हिंसक को संकेत से अपने पास बुला सक मंत्री सामने आए और उन्होंने राजा चंद्र को प्रणाम किया और वे अपने आसन है। प्रसन्न मुद्रा से हिंसक मंत्री बोले, “हे चंद्र नरेश, आज आपके दर्शन हुए, परम गा। मैं आप से प्रार्थना करता हूँ कि आप कृपा कर हमारे महाराज की अभिलाषा पूरी अब समय व्यर्थ गँवाने का अवसर नहीं है। बहुत नाजुक समय आ गया है। ऐसे में आपकी सहायता की बहुत आवश्यकता है। हमें आशा है कि ऐसे कठिन समय पर मदद अवश्य करेंगे। आप परोपकारी पुरुष हैं। आप जैसे परोपकारी पुरुषों का यह = होता है कि स्वयं तकलीफ सह कर पराए लोगों का दुःख दूर करते हैं। ___SEE ACHARYA Phone : (079) 23276252, 23276204.00 koira, Chendhinagar-332009. THANKTACTREHDRA !!!ASSAGAPSURIGYANMANDIR महाराज, हम आपको यहाँ जबर्दस्ती नहीं लाए हैं। लेकिन देवी के वचनों से हमने इचान लिया और हमने आपका यहाँ स्वागत किया है। अब देखिए महाराज, कामर समय बहुत कम है। इसलिए कृपा कर के आप हमारी प्रार्थना को मत ठुकराइए। - P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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