________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र / वीरमती ने गुणावली से कहा, 'देख बहू, सामने जो छतनार आम्रवृक्ष दिखाई देता है, उसकी डाली पर बैठ कर अब हमें आकाशगामिनी विद्या की सहायता से विमलापुरी जाना है। इस आम के पेड़ की डाली पर बैठते ही यह पेड़ वायुगति से उड़ेगा और हम दोनों एक क्षण में विमलापुरी के उद्यान में पहुँच जाएँगी / चालाक चंद्र राजा इन दोनों सास-बहू के उस पेड़ के पास जा पहुँचने से पहले ही अंधेरे में तेजी से उस पेड़ के पास पहुँच कर पेड़ की पोल में घुस कर चुपचाप बैठ गया। पेड़ के उस कोटर (पोल) में छिप कर बैठे-बैठे राजा चंद्र विचार करने लगा कि सचमुच मेरी गुणावली गुणावली ही है। मैंने आज तक उसमें कभी कोई दुर्गुण नहीं देखा / लेकिन सरल स्वभाव की होने से वह मेरी माता के कपटजाल में बराबर फँस गई है / मेरी माता के कहने से उसकी बुद्धि फिर गई है। अब ये दोनों मिलकर आगे क्या करती हैं यह देखता जाऊँगा। चंद्र राजा मन में यह सोच ही रहा था कि इतने में सास और बहू, दोनों आम के पेड़ के पास आ पहुँची / मन में तय किए हुए पेड़ पर दोनों चढ़ी। तब वीरमती ने अपने हाथ में होनेवाली मंत्रित कनेर की छड़ी से पेड पर जोर से प्रहार किया। प्रहार होते ही पेड़ अपना स्थान छोड़ कर वायुयान की तरह आकाश मार्ग से विमलापुरी की ओर उड़ा। उन दोनों के साथ-साथ उसी पेड़ के कोटर में पहले ही छिप कर बैठा हुआ चंद्र राजा भी उड़ा / जैसे जीवों का केवलज्ञान केवलज्ञानावरण से आच्छादित होता है, वैसे हो राजा चंद्र भी पेड़ के कोटर के आवरण से आच्छादित था। कोटर के अंदर छिपा हुआ होने से चंद्र राजा बाहर की दुनिया देखने में समर्थ नहीं था। लेकिन वीरमती और गुणावली खुले आकाश में चंद्रमा की ज्योत्स्ना के प्रकाश में विविध नगरों वनों-उपवनों की शोभा का अवलोकन कर रही थीं। आम का पेड़ आकाशमार्ग से वायु से भी अधिक गति से आगे की ओर बढ़ता जा रहा था। वीरमती गुणावली को विशिष्ट देखने योग्य स्थानों का परिचय कराती जा रही थी। ऐसे ही आकाशमार्ग से चलते-चलते नीचे गंगा नदी दिखाई दी। सास वीरमती ने बहू गुणावली से कहा, “देख, नीचे परमपावनी गंगा नदी बह रही है। देख, अब यह कालिंदी (यमुना) नदी है। इस नदी का पानी नीले (काले) रंग का और निर्मल है। इतने में मार्ग में अष्टापद तीर्थक्षेत्र आया। वीरमती गुणावली को इस तीर्थक्षेत्र का परिचय कराती हुई बोली, “प्रिय बहू, देख, यह नीचे अष्टापद तीर्थक्षेत्र है। यहाँ कई बार ऋषभदेव भगवान पधारे थे। यहाँ देवताओं P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust