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________________ 36 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र बहुत कम है - बिरले ही हैं - कि जिन्हें स्त्रियाँ कभी जीत नहीं पाती है। बाकी सारे पुरुष तो कुछेक सेकण्डों मैं स्त्रियों के अधीन बन जाते हैं। - मेरी बेटी, स्त्री में अपार शक्ति होती है। इसलिए स्त्री को पुरुष से धबराने का कोई कारण नहीं है / जो अपने पति से डरती है उसका सारा जीवन व्यर्थ है-मेरी यह स्पष्ट राय है, समझी ? मेरी बहू, यदि तेरे मन में विश्वदर्शन करने की प्रबल इच्छा है, तो चंद्रकुमार का डर मन में से बिलकुल हटा दे। मेरे पास ऐसी अनेक विद्याएँ और मंत्र हैं कि उनके बल पर सारे विश्व को वश में करना तो मेरे लिए बाएँ हाथ का खेल ही समझ ले। तू मुझ पर पूरा विश्वास रख और जैसा मैं कहूँगी, वैसा कर ! मैं तेरा बाल भी बाँका नहीं होने दूंगी / तेरी सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी मेरी है, तू बिलकुल चिंता मत कर / तू बिलकुल निर्भय और निश्चित हो जा। तेरी सारी इच्छाएँ पूर्ण करने की सामर्थ्य मुझ में है। हम दोनों आज रात को आकाशगामिनी विद्या की सहायता से दूर-सुदूर देशों में जाकर सुबह होने से पहले ही फिर लौट आएँगी। इस बात की चंद्रकुमार को या अन्य किसी को खबर भी नहीं हो सकेगी। क्यों, फिर तैयार है न तू बेटी ?" इस पर गुणावली ने कहा, 'माताजी, यदि आप मेरी रक्षा करने के लिए इतनी जाग्रत हो, तो मुझे किसी से भय का कोई कारण नहीं है। यदि आप मुझे देश-देशांतर की नई-नई चीजें दिखाना चाहती हैं, तो मैं तैयार हूँ। सास के सभी गुणों से युक्त होनेवाली आप मेरे लिए देवी की तरह हैं। मैं सपने में भी आपकी आज्ञा का उल्लधन नहीं करूँगी। आप मुझे जहाँ ले जाना चाहती है, वहाँ आज की रात को आने को मैं बिलकुल तैयार हूँ / लेकिन आप पहले अपनी मंत्रविद्या के प्रभाव से अपने पुत्र को वश में कर लीजिए। इससे फिर वे कोई उपद्रव नहीं मचाएँगे और मुझ पर नाराज भी नहीं होंगे। क्या आप ऐसा करेंगी न माताजी ?' गुणावली की उपर्युक्त बातें सुन कर वीरमती ने सोचा, “अब पकड़ी गई है यह गुणावली मेरे मायाजाल में ! अब चिंता करने का कोई प्रयोजन नहीं है।" खुश होकर वीरमती ने गुणावली से कहा, "प्रिय बहू, मेरे पास अवस्वापिनी नाम की विद्या है। उस विद्या की सहायता से मैं सारी नगरी के सभी मनुष्यों को निद्राधीन कराने में समर्थ हुँ / फिर तेरे पति चंद्रकुमार को वश में करने में कौन सी बड़ी बात है ? तू चंद्रकुमार का भय मन में से बिल्कुल निकाल डाल / अब तू मेरी योजना सुन ले - तेरे मन में आज रात को देश P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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