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________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र प्रिय बहू, तूं करोडों वर्षों का जीवन पा ले ! तूं मुझे अपने प्राणों से भी अधिक प्रिय है। इसलिए तेरे मन में जो अभिलाषा हो, वह मेरे पास नि:संकोच होकर कह दे। यदि कभी मेरे पुत्र ने तुझे किसी तरह परेशान किया, तो मुझे बता दे। मैं उसको कड़ी उलाहना देकर तेरे लिए अनुकूल कर दूंगी। मैं तो यह मानती हूँ कि तुम दोनों समान सुखीपभोगी हो। मैं तो तुझे अपनी पुत्री ही समझती हूँ। आखिर तुम दोनों के सिवाय संसार में मेरा अपना है ही कौन ? तुम दोनों को सुखी देख कर मेरी आँखे तृप्त होती हैं / तुम दोनों को देखते रहने से ही मैं जीवित हूँ।" दुर्जन प्रवृत्ति के मनुष्य की बातें शहद जैसी मीठी होती हैं, लेकिन उसके हृदय में हलाहल विष भरा हुआ होता है। इसलिए किसी की बहुत मीठी-मीठी बातों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए / दुर्जन अपना स्वर्थ सिद्ध करने के लिए सामने होनेवाले मनुष्य को पूरे विश्वास में लेने के लिए उसके आगे मीठी-मीठी बातें करके उसे अपने वश में कर लेता हैं / कटु बोलनेवाला सज्जन मनुष्य मीठी बातें करनेवाले दुर्जन से कई गुना अच्छा होता है ! भोली-भाली और सज्जन गुणावली को अपने मायाजाल में फँसाने के लिए मीठी-मीठी बातें करके उसे अपने वश में कर लेने के लिए वीरमती प्रयत्नशील थी। अब अपनी मिठासभरी बातें जारी रखते हुए वीरमती ने गुणावली से आगे कहा, “बहू, तेरे आचार-विचार और व्यवहार को देख कर मेरे मन में पूरा विश्वास हो गया है कि तू मेरी आज्ञा का कभी उल्लंघन नहीं करेगी। अब मैं तुझे खुल्लमखुल्ला बताती हूँ कि यदि त मेरे अनुकूल बर्ताव करेगी और मेरे कहने के अनुसार काम करेगी, तो मैं अपने पास होनेवाली अलौकिक विद्याएँ तुझे ही प्रदान कर जाऊँगी। मेरे पास जो दिव्य और अलौकिक शक्तियाँ हैं, उन्हें तू अपनी ही शक्तियाँ समझ ले!" ऐसी बातें कह-कह कर वीरमती गुणावली को ठगने की कोशिश में लगी हुई है। बिलकुल सरल स्वभाववाली गुणावली अपनी सौतेली सास की कुटिलता और बुरे इरादों को समझ नही पाई / सरल स्वभाववाला मनुष्य सबको सरल स्वभाव का ही समझता है। इसी कारण गुणावली को वीरमती की कही हुई सारी बातें बिलकुल सच लगी। गुणावली की दासियों और सखियों ने सोचा कि सास-बहू शायद गुप्त बातें कर रही हैं, इसलिए हमें यहाँ नहीं रूकना चाहिए। इसलिए वे सब एक-एक कर के वहाँ से चली गई। अब वीरमती ने अच्छा अवसर देखा कि एकान्त है, यहाँ कोई दिखाई नहीं देता है। इसलिए उसने गुणावली के कानों में मीठा जहर घोलना प्रारंभ किया। उसने गुणावली से कहा, P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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