________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र 241 है इसके परिणामस्वरूप जीव कर्मराजा का प्रभाव अधिकाधिक मात्रा में पड़ता जाता है। कभी-कभी किसी जन्म में-योनि में कर्मराजा संसारी जीव के पास पुण्योदय को भेजता है और जीव की काल्पनिक, नकली और विनाशी, क्षणभंगुर वंषयिक सुख दिला कर उसे खुला रखता है। ऐसा अशाश्वत सुख भोगने के बाद वह जीव को फिर से नरकादि दुर्गातियों में भयंकर शारीरिक और मानसिक यातनाएँ भोगने के लिए भेज देता हैं। विषयलोलुप जीव बार बार दुर्गतियों का शिकार बनता हैं। फिर से पुण्योदय के कारण थोड़ा-सा भौतिक और क्षणभंगुर सुख मिलते ही वह उसमें आसक्त बन जाता है / अज्ञानी संसारी जीव को सच्चे सुख की खबर ही नहीं होती है। इसलिए सच्चे सुख के कारणों को वह दुखों का कारण मान लेता है और उनसे दूर भागता है। इसके साथ ही सच्चे दु:ख के कारणों को वह सच्चे सुख के साधन मान बैठता है और उनकी साधना में स्वयं को लीन कर देता है। अनंतज्ञानी तीर्थकर देवों ने अपने अनंत ज्ञान के प्रकाश में देख कर जो सच्चे सुख के साधन बताए हैं, उनकी ओर यह मोहाधीन और कर्माधीन बना हुआ जीव कभी देखता तक नहीं, उनका उपयोग करने की बात तो दूर रही। यह संसारी मोहाधीन जीव सच्चे सुख का सही मार्ग बतानेवाले ज्ञानी पुरुषों के प्रति मन में द्वेष का भाव रखता है। उनको अपना शत्रु समझ लेता है, वैषयिक सुख के साधन बतानेवालों को और दिलानेवालों को वह अपना सच्चा मित्र मान लेता है। मिथ्यात्व नाम का कर्म संसारी जीव को सत्य और असत्य का भेद नहीं करने देता। मनुष्य की विवेकशक्ति यहाँ काम ही नहीं कर पाती ! इसीलिए अज्ञानजीव सत्य को असत्य और असत्य को सत्य, हितकारी को अहितकारी और अहितकारी को हितकारी, पुण्य को पाप और पाप को पुण्य, हेय को उपादेय और उपादेय को हेय मान कर इस संसार में अनादिकाल से भटक रहा है। इस संसार में अन्यत्र कहीं सुख नहीं है। सुख एकमात्र मोक्ष में ही है। वैषयिक सुख तो / शहद लगाई हुई तलवार की धार चाटने के समान खूनी और क्षणभंगुर सुख है। ऐसे खूनी और क्षणभंगुर सुख को मिथ्यात्वी अज्ञान जीव सच्चा सुख मान लेता है और उसी में आसत्त रहता जैसे जंगल में रेगिस्तान में भटकनेवाले प्यासे मृग को मृगजल का आभास होता है और वह उसे सच मान कर पाने के लिए भटकता है, उसी तरह मिथ्यात्व से भरे हुए जीव को भी विषयसुख में सच्चे सुख का भ्रम होता है ! मिथ्यात्वी-अज्ञानजीव का यह भ्रम 'समकित' आने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust