________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र 239 दोनों राजकुमारों का राजमहल में बड़े लाड़प्यार से और ढंग से पालन होने लगा। दोनों राजकुमार दूज के चंद्रमा की तरह शरीर, तेज, पराक्रम, गुण, बुद्धि की दृष्टि से बढ़ते गए। राजा चंद्र समय-समय पर अपने इन दोनों राजकुमारों को अपनी गोद में बिठा लेता, उनकी बालक्रीड़ाऐं देखता, उनकी मधुर और तोतली वाणी सुनता और मन-ही-मन खुश होता जाता था। राजा चंद्र की गोद में ये दोनों राजकुमार बालक्रीड़ाएँ करते हुए ऐसे सुंदर प्रतीत होते थे, - मानो मानसरोवर में राजहंसों की जोड़ी क्रीड़ा कर रही हो। धीरे-धीरे दोनों राजकुमार बडे होने लगे। अब वे दोनों हाथी-घोड़े पर बैठ कर धूमने के लिए जाने लगे। राजा ने उन दोनों की शिक्षा-दीक्षा का भी सुचारु प्रबंध किया / कुछ ही दिनों में दोनों राजकुमार बालक्रीड़ाएँ करते हुए ऐसे सुंदर प्रतीत होते थे, मानो मानसरोवर में राजहंसों की जोड़ी क्रीड़ा कर रही हो। धीरे-धीरे दोनों राजकुमार बडे होने लगे। अब वे दोनों हाथी-घोड़े पर बैठ कर धूमने के लिए जाने लगे। राजा ने उन दोनों की शिक्षा-दीक्षा का भी सुचारु प्रबंध किया। कुछ ही दिनों में - दोनों राजकुमारों ने बहुत्तर कलाओं, धर्मशास्त्रों तथा शस्त्रकला में पारदर्शिता कुशलता प्राप्त कर ली। इधर चंद्रराजा का पुण्योदय ऐसा प्रबल था कि युद्ध किए बिना ही उसने राज्य में दिन दूनी वृद्धि होने लगी। क्रमश: राजा चंद्र भारत वर्ष के तीन महाद्वीपों का (खंड़ों का) राजा बना। उस समय संसार में ऐसा कोई राजा न था जिसने चंद्र राजा के चरणों में अपना मस्तक न झुकाया हो। कृतज्ञाशिरोमणि चंद्रराजा ने आभापुरी में उसकी उज्जवल कीर्ति की गाथा गानेवाले अनेक गगनचुंखी मंदिर बनवाए / चारित्र्यचूड़ामणि मुनियों के करकमलों से उसने उन मंदिरों में हजारों जिनमूर्तियों की प्राणप्रतिष्ठा करवाई / उस समय चंद्र राजा ने आभापुरी में जबरदस्त 'अंजनशलाका' प्रतिष्ठा महोत्सव कराया। इसके अतिरित्त राजा ने अन्य अनेक जिनशासनप्रभावक पुण्यकार्य कराए। राजचंद्र बहुत अच्छी तरह जानता था कि - 'संपत्ति की सफलता सात क्षेत्रों की भक्ति करने में ही समाई है।' आभापुरी में श्री मुनिसुव्रत स्वामी भगवान आगमन एक बार पृथ्वीतल को पावन करते हुए और भव्य जीवों को सत्य मोक्षमार्ग बताते हुए आभापुरी के 'कुसुमाकर' नामक उद्यान में तीर्थकर देव श्री मुनिसुव्रतस्वामी भगवान करोड़ों देव-देवियों और लाखों साधु-साध्वियों के साथ पधारे। P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust