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________________ 192 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र ___. यह अत्यंत आनंद देनेवाला समाचार सुन कर राजा इतना खुश हुआ कि उसने अपने मुकुट को छोड़कर बाकी सभी मूल्यवान् आभूषण तुरंत उतार कर दासी को पुरस्कार के रूप में दे दिए। फिर राजा ने दासी से सारी घटना विस्तार से सुनी। सारी विमलापुरी में यह खुशी का समाचार वायु की गति से फैल गया। नगरजनों ने अपनी खुशी प्रकट करने के लिए आनंदोत्सव मनाया। अब विमलापुरी के नगरजन अपनी नगरी के राजा के दामाद को देखने के लिए अत्यंत उत्कंठित हो गए। राजा मकरध्वज ने इस आनंद के उपलक्ष्य में एक बड़ा महोत्सव मनाने का निश्चय किया। . . राजा ने अपने मातहत सभी सामंतराजाओं, मंत्रियों, प्रमुख नागरिकों को और नटराज शिवकुमार तथा उसकी पुत्री शिवमाला को भावभीना निमंत्रण भेजा। उसने इन सबको संदेश भेजा - ____हमारे दामाद आभानरेश चंद्र को किसी कारणवश मुर्गे का रूप मिला था। लेकिन मुर्गे के रूप में सोलह वर्ष व्यक्ति करने के बाद उन्हें सूरजकुंड के पानी के प्रभाव से मनुष्यत्व की प्राप्ति हो गई है। उनकी खुशहाली का आनंद मनाने के लिए हमने एक बड़े महोत्सव का आयोजन करने का निश्चय किया है। आप सब इस महोत्सव के कार्यक्रम में अवश्य उपस्थित रहे और हमें उपकृत करे। राजा की और से निमंत्रण मिलते ही सभी निमंत्रित बडी संख्या में उपस्थित हो गए। उनके सामने राजा मकरध्वज ने कृतज्ञता व्यक्त करते हुए कहा, हे नटराज, तुम्हारी मेहरबानी से ही मुझे मेरे दामाद प्राप्त हो गए हैं। मेरे सामने यह बडा प्रश्न खडा है कि में तुम्हारे उपकार का बदला कैसें चुकाऊँ ? ___ राजा मकरध्वज के मुँह से अपने सवामी राजा चंद्र को मुर्गे से मनुष्यत्व की प्राप्ति होने का समाचार सुनते ही नटराज शिवकुमार और उसकी पुत्री शिवमाला दोनों आनंदविभोर हो गए / वे सुधबुध भूलकर सबके सामने नाचने लगे। उनके हर्ष का कोई पार न था। अब यह अत्यंत हर्ष का समाचार नगर के बाहर डेरा डालकर रहनेवाले सात सामंत राजाओं को पहुँचाने का प्रबंध की सेना के साथ अनेक वर्षों से मुर्गे के रूप में होनेवाले चंद्र राजा के प्राणों की रक्षा के लिए उसके साथ नि:स्वार्थ भाव से रहते थे। राजा मकरध्वज ने इन सातों P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. un Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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