________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र 161 थान रखो / यदि तुम्हारा यह मुर्गा सुबह के समय कुकडकूँ करने लगा और मुर्गे की आवाज (बह के समय सुन कर सुबुद्धि मंत्री का दामाद विदेश चला गया, तो सारा दोष तुम्हारे शिर ढिगा। इसलिए तुम अपने मुर्गे को इशारे से समझा दो कि वह सुबह जागकर कुकडकूँ न करें, ल्कि मौन रहे / ऐसा करने में ही तुम्हारी भलाई है।" नटराज शिवकुमार ने अन्य लोगों को व्यर्थ दु:ख नहीं देना चाहिए यह विचार करके जिड़े में होनेवाले मुर्गे-चंद्र राजा-को इशारे से सारी बात समझा दी। लेकिन दूसरे दिन सुबह ति ही मुर्गा भूल से हरदिन की आदत के अनुसार कुकडः कुकडकूँ करने लगा। __ मुर्गे की कुकड़कूँ की मधुर ध्वनि प्रभात समय कानों में पड़ते ही यही शुभ मुहूर्त जानकर नीलाधर जहाज में बैठ कर विदेश जाने के लिए निकल पड़ा। लीलाधर को मुर्गे की आवाज मृत की तरह मीठी प्रतीत हुई तो वही ध्वनि लीलाधर की पत्नी लीलावती को जहर की तरह डुवी लगी। पति लीलाधर के चले जाने के कारण विरह व्याकुल लीलावती मूर्छित होकर मि पर गिर पड़ी। थोड़ी देर के बाद जब उसकी मूर्छा टूटी, तो विलाप करते हुए वह कहने नगो, “कौन है वह दुष्ट जिसने अपने घर में मुर्गा रख कर मेरे पति से मेरा वियोग कराया ? कसने मेरे साथ यह दुश्मनी की है ? इस नगर में कौन ऐसा साहसी मनुष्य निकला जिसने मेरे पता मंत्री की आज्ञा का उल्लंघन करके अपने घर में मुर्गा रखा ? हे विधाता, यदि तूने इस मुर्गे aa निर्माण ही न किया होता, तो मुझे पतिवियोग का दु:ख न सहना पड़ता।" विलाप करते-करते ही क्रुद्ध हुई लीलावती ने अपनेपिता मंत्री को अपने पास बुला कर हा, “पिताजी, मुझेमेरे पति के विरह का दु:ख सहने को विवश करनेवाले उस दुशमन मुर्गे को हे जहाँ से खोज निकाल कर मुझे सौंप दीजिए। वह मुर्गा न मिला, तो मैं अन्न पानी का त्याग र दूंगी।" कैसा गहरा अज्ञान है यह लीलावती का ! वास्तव में मनुष्य के जीवन में सुख-दु:ख नानेवाले उसके किए हुए शुभाशुभ कर्म ही होते है। लेकिन अज्ञानी मनुष्य अपने जीवन में :ख आते ही उसका दोष किसी दूसरे के माथे मढ़ता है। मनुष्य के सुख-दु:ख में वास्तव में अन्य तीव तो सिर्फ निमित्त मात्र होते हैं। लेकिन श्वानवृत्तिवाला मनुष्य दुःख-संकट-तकलीफ आते उसका दोषारोपण दूसरों पर करता है। __ अपनी प्रिय पुत्री की धमकी सुनते ही उसके पिता मंत्री सुबुद्धि ने मुर्गे की खोज करने के लए चारों दिशाओं में अपने सैकड़ों सेवक तुरन्त रवाना कर दिए / सेवकों ने सारे नगर को P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust