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________________ 160 . श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र सुबुद्धि मंत्री ने अपने दामाद को बराबर अपने शिकंजे में फँसा लिया था। वह दिन व्यर्थ चला गया। तब लीलाधर ने सोचा कि आज तो मैं विदेश के लिए प्रस्थान नहीं कर सका, लेकिन कल अवश्य जाऊँगा। लेकिन दूसरे दिन भी वही बात हुई। किसी मुर्गे की आवाज सुबह के समय सुनाई नहीं पड़ी। यही करते-करते छ: महीनी का समय बीत गया। लालाधर विदेश जान के लिए बहुत लालायित था, उतावला हो गया था। लेकिन मृर्गे की आवाज सुने बिना वह विदेश के लिए प्रस्थान कैसे कर सकता था ? ससुर मंत्री सुबुद्धि के मायाजाल में वह पूरी तरह फँस गया था। इधर पोतनपुर नगरी में जब मंत्री सुबुद्धि के घर दामाद का विदेश जाने से रोकने के लिए यह सारा प्रपंच किया जारहा था, तभी नटराज शिवकुमार की नटमंडली धरती के विभिन्न प्रदेशों में परिभ्रमण करते-करते एक दिन पोतनपुर नगरी में आ पहुंची। चंद्र राजा का यशोगान करते हुए और तरह-तरह के वाद्य बजाते हुए नटमंडली पोतनपुर नगर के राजा के पास आ पहुँची। नटराज शिवकुमार ने राजा के दरबार में जा कर राजा को प्रणाम किया और नगर में रहने के लिए उन्होंने स्थान माँगा। राजा ने शिवकुमार को | मंत्री सुबुद्धि के घर के निकट की ही एक जगह बताई / नटमंडली ने राजा की बताई हुई जगह | पर जा कर अपना डेरा जमाया। लेकिन नटमंडली के साथ होनेवाले सात सामंत राजाओं का | सेना के रहने के लिए नगर में पर्याप्त स्थान न होने से उन्हें नगर के बाहर तालाब के किनार / डेरा डालने को जगह प्रदान की गई। उस दिन संध्या समय मुर्गे के रुप होनेवाले चंद्र राजा से आज्ञा ले कर शिवकुमार अपनी मंडली के कुछेक सदस्यों को लेकर राजसभा में जा पहुँचा और उसने मधुर गीत सुना कर राजा और राजदरबार के सदस्यों को खुश कर डाला। फिर शिवकुमार ने राजा से कहा, “महाराज, - आज तो हम सब खूब थके हुए हैं। इसलिए आज हम आराम ही करेंगे। कल हम आपको / नाटक दिखाएँगे।" राजा ने शिवकुमार की ऐसा करने के लिए अनुमति दी, तो शिवकुमार में अपनी मंडली के साथ डेरे पर वापस चला आया / B नगरी में रहनेवाले एक मनुष्य को पता चल गया कि नटी शिवमाला के पास एक पिंजड़े = में एक मुर्गा है। उसने खानगी में नटराज शिवकुमार के पास आकर उसकी बताया, "देखो भाई। नटराज, तुम्हारे पास पिंजड़े में पड़ा यह मुर्गा सुबह के समय कुकडकूँ न करे इस बात का पूरा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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