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________________ श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र सुबुद्धि मंत्री की बात लीलाधर के पिता को उचित लगी! उन देनों ने चिकर उर ज्योतिषी को बुला कर उससे विदेशयात्रा के लिए शुभ मुहूर्त पूछने का निश्चय लिया जाने पता और ससुर के बीच हो रही ये बातें सुन कर लीलाधर को भी ऐसा लगा कि शुभ मुहर्त पर विदेश की ओर प्रस्थान करने पर ही इच्छित धन लाभ हो सकेगा। मंत्री ने गुप्त रीति से ज्योतिषियों को पहले ही सिखा रखा था कि तुम लोग हारे दामाद कपास जाओ और पत्रा (पंचांग) देखने का बहाना बना कर हमारे दामाद से कहो कि आनेवाले छ: महीनों में तो विदेश जाने के लिए कोई अच्छा मूहूर्त नहीं है लेकिन यदि विदेश जाने की बहुत उतावली हो, तो जिस दिन सुबह मुर्गे की आवाज सुनाई दे, उसी दिन सुबह को विदेश के लिए प्रयाण कर दो।' __ मंत्री की बनाई हुई योजना के अनुसार धनद सेठ ने लीलाधर और उसकी पत्नी लीलावती आर सारे परिवार के सामने नगर के विख्यात ज्योतिषी को बुलाया और विदेशयात्रा के लिए शुभ मुहूर्त पूछा / गुप्त रीति से पहले ही बनाई गई योजना के अनुसार ज्यतिषी ने कुछ देर तक पत्रा दिखाने का बहाना बनाया और उसको पहले सिखाया गया था, वैसे ही सबकुछ सुनाया। ज्योतिषी की बातें सुन कर लीलाधर ने अपने मन में यह निश्चय कर लिया आज भली सुबह मुर्गे की आवाज कानों में पड़ते ही मैं विदेश जाने के लिए प्रस्थान करूँगा। रात के समय विदेश जाने की और मुहूर्त साधने की चिंता के कारण लीलाधर को नींद भी नहीं आई। रात का अंतिम प्रहर बीता। भली सुबह का समय निकट आया . मुर्गा अभी कुकडकूँ करनेवाला ही था, इसलिए लीलाधर ने अपने कान और मन को बिल्कुल सतर्क कर दिए। लोकन किसी भी मुर्गे की आवाज लीलाधर के कानों में नहीं पड़ी। इसका कारण यह था कि लालाधर के ससुर सुबुद्धि मत्री ने अपने निजी सेवकों की सहायतासे नगर के सभी मुर्गो को पकड़वा कर नगर के बाहर भेज दिए थे। बेचारा लीलाधर मुर्गे की आवाज सुनने के लिए आकुल-व्याकुल हो गया था, लेकिन सब विफल हो गया। ज्योतिषी के कहने के अनुसार बर्ताव करने के सिवाय लीलाधर के सामने कोई उपाय नहीं था। सुबुद्धि मंत्री ने उपाय ही ऐसा निकाला था कि साँप भी मरे और लाठी भी न टूठे।' P.P.AC.GunratnasuriM.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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