SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ / चन्द्रराजर्षि चरित्र 129 . लाकन घमंड़ी राजा हेमरथ ने दूत की कही हुई बातों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया। नियुद्ध की घोषण कर दी। उसने अपनी चतरंग सेना को सुरज्जित किया और मन में सोचा कराना के हाथ से राज्य छीन लेना मेरे लिए बाएँ हाथ का खेल है। उस वीरमती में क्या स्त है कि वह मेरे सामने युद्ध करने के लिए आ जाए ! - एसा विचार करके और अपनी चतुरंग सेना साथ लेकर पूरी तैयारी के साथ राजा रथ ने आभापुरी की सीमा में प्रवेश किया। लेकिन आभापुरी की सीमा में प्रवेश करते ही का मनोबल टूट पड़ा और वह विचार करने लगा कि मैंने बहुत बड़ा दुःसाहस किया है / कनअब क्या हो सकता है ? लेकिन यदि मैं ऐसे ही बिना युद्ध किए वापस चला जाऊँ तो मेरी हुत बदनामी होगी। अब युद्ध करना ही होगा, भले ही परिणाम कुछ भी निकले। इधर वीरमती को भी समाचार मिला कि राजा हेमरथ अपनी सेना साथ लेकर युद्ध कालए आभापुरी के निकट आ पहुँचा है। इसलिए वीरमती ने अपने मंत्री को बुला कर ससे पूछा, “तुम्हें समाचार सुनने को मिला है या नहीं ? राजा हैमरथ अपनी सेना लेकर भापुरी पर आक्रमण करने के लिए आभापुरी के निकट आ पहुँचा है / मैं ऐसे सामान्य श्रेणी . राजा के साथ युद्ध करने के लिए स्वयं जाना उचित नहीं मानती हूँ। इसलिए हे मंत्री, तुम क्यं ही अपनी पराक्रमी सेना को साथ लेकर हेमरथ से युद्ध करने के लिए रणक्षेत्र पर चले / तुम्ह मेरा पूरा आशीर्वाद है कि विजयलक्ष्मी तुम्हारा ही वरण करेगी। तुम्हारा एक भी ण खाली नहीं जाएगा। इसलिए तुम्हें बिलकुल चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।" रानी वीरमती की आज्ञा सुनते ही सुबुद्धि मंत्री ने युद्ध की तैयारी के लिए सारे नगर में षणा कर दी। उन्होंने अपनी सेना को युद्ध के लिए सुसज्जित होने का आदेश दिया। मंत्री ने पना सना को संबोधित कर कहा, "आभापुरी के वीर सैनिको! आज अपनी मातृभूमि की रक्षा रने का सुनहरा अवसर आ गया है। यदि ऐसे समय पर हम हाथ पर हाथ घरे बैठे रहे और पने शत्रु राजा के दाँत खट्टे न किए तो हमारी क्षत्रियता लज्जित हो जाएगी। इसलिए आज अपना क्षात्रतेज बताने का अवसर आया है। इसलिए हमारी रानी की आज्ञा के अनुसार आप सबको मेरे नेतृत्व में हेमरथ और उसकी सेना से लड़ने के लिए जाना है। यद्यपि हमारे ताराज चद्र मुर्गा बन गए हैं, लेकिन वे अब भी हमारे राजा ही है। उनके प्रबल पुण्योदय से डम हमारी विजय निश्चित है। इसलिए हे वीर क्षत्रियों उठो और रणक्षेत्र पर अपना पराक्रम दखा कर शत्रु को पकड़ कर हमारी रानी के सामने हाज़िर करो।" P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy