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________________ चन्द्रराजर्षि चरित्र 123 त हुए राजमाता वीरमती ने मंत्री से कहा, "ए मंत्री, तू प्रजा की दलाली करता हुआ मेरे पास आया हैं, यह मै अच्छी तरह जानती हूँ। हे दुष्ट, तूने ही तो मेरे पुत्र राजा चंद्र को मार डाला और अब तू बड़ा धूर्त बन कर अपना अपराध छिपाने के लिए मुझसे ये सारी सफाई की कर रहा है। ऐसा करके तू अपने किए हुए पाप पर परदा डालना चाहता है, लेकिन याद मतरी सारी चतुराई-चालाकी अच्छी तरह समझ गई हूँ।" इसीको कहते हैं 'उलटा चोर नवाल को डाँटे !' वास्तव में वीरमती ने ही अपने मंत्रप्रयोग से आभानरेश चंद्र को मुर्गा बना डाला था। 7वारमती ने अपना अपराध बड़ी चालाकी से यह कह कर मंत्री के माथे पर मार दिया कि, न ही मेरे पुत्र चंद्र को मार डाला है।' सब हो कहा है कि स्त्री के चारित्र का पार पाना महा उन है / स्त्री कपट की कोठरी है, माया का मंदिर है, सभी दु-खों को जन्म देनेवाली जननी है। वारमता ने फिर कड़क कर सुबुद्धि मंत्री से कहा, “मेरे प्रिय पुत्र के खूनी हे दुष्ट मंत्री, मैं यह पापमय षडयंत्र बहुत समय से जानती हूँ, लेकिन मैंने अभी तक तेरी इस काली करतूत र मकिसीसे कुछ नहीं कहा है। अब तू ही मुझे उल्टा पाठ पढ़ाने आया है, इसलिए मुझे से यह बात स्पष्ट कहनी पड़ रही है कि, 'तूने ही मेरे पुत्र का खून कर दिया है / मैं अच्छी - जानता हू कि तू इस समय बडे सत्यवादी हरिचंद्र का स्वाँग लेकर मेरे पास क्यों आया तू मुझे संसार में बदनाम करना चाहता है, लेकिन याद रख, मैं तुझे यों ही छोड़नेवाली नहीं मरा अपराध करके तू सुख से जीना चाहता है, लेकिन तेरी यह आशा कभी पूरी नहीं हो गी, समझा न तू!" राजमाता द्वारा अचानक किए हुए इस परमाणु बम के विस्कोट से बेचारा सुबुद्धि मंत्री विरा हो गया। एकदम क्षुब्ध होकर उसने राजमाता वीरमती से कहा, "हे राजमाता, आप ऐसी उल्टी-सीधी बातें क्यों कर रही हैं ? ऐसा सरासर झूठ बोल आपको क्या लाभ होगा ? मुझ पर राजा की हत्या करने का बिलकुल बेबुनियाद इल्जाम क्या लगा रही हैं ? मैं किसलिए राजा की हत्या करूँगा ? क्या राजा के साथ मेरी कोई 11 है ? राजाने मेरा ऐसा क्या बिगाड़ा है जो मैं अपने अन्नदाता राजा का स्वयं खून करूँया स खून कराऊँ ? क्या आपके पास इस इल्जाम के लिए कोई प्रमाण है ? हे राजमाता, वर इश्वर से तो थोड़ा बहुत डर रखिए। मैं तो राज्य के हित के लिए आपसे बात करने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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