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________________ 108 श्री चन्द्रराजर्षि चरित्र रात आपने जिस महापुरूष के साथ मेरा विवाह करा दिया और जिसको हस्तमोचन के समय आपने हाथी, धोड़े, कीमती वस्त्र-आभूषण आदि प्रदान किए वे मेरे पति और आपके सम्मान्य दामाद और कोई नहीं, बल्कि आभापुरी नरेश, सात्विकशिरोमणि, कामदेव के समान रूपवान् महाराज चंद्र ही थे। विवाह संपन्न होने के बाद हम दोनों पति-पत्नी विलासभवन में गए और सोने के पासों से खेलने लगे। कुछ समय तक खेलने के बाद हम भोजन करने के लिए बैठे। भोजन करते-करते उन्होंने मुझको पानी देने को कहा और मुझे अपना परिचय भी दिया। इसीके आधार पर मैं सबकुछ स्पष्ट रुप में जानकर आपके सामने कहने में समर्थ हो गई हूँ। आपके वास्तविक दामाद आभानरेश चंद्र की तुलना में ये सिंहलेश आदि तो तिनके को तरह तुच्छ हैं। सिंहलेश कनकरथ का पुत्र कनकध्वज जन्म से हो कोढ़ी है, इसीलिए कनकरथ उसे निरंतर एक गुप्त महल में रखते थे। विवाह की रात को संयोगवश आभानरेश चंद्र यहाँ पघारे थे। वे युवक और कापदेव के समान सुंदर होने के कारण सिंहलनरेश और उनके मंत्री हिंसक ने गुप्त परामर्श की कि 'आप इस विमलापुरी के राजा की पुत्री प्रेमला के साथ हमारे कुमार कनकध्वज की ओर से विवाह कीजिए। मेरे पति आभानरेश चंद्र की बिलकुल इच्छा न होने पर भी उस परोपकारी महापुरुष ने सिंहलनरेश और हिंसक मंत्री की प्रार्थना स्वीकार की। उसके अनुसार उन्होंने उस रात को मेरे साथ विवाह किया, मेरा पाणिग्रहण किया और उसी रात वे आभापुरी लौट गए। पिताजी, मैंने उसी समय अपने पति आभानरेश से कहा था कि भले ही आप मुझे यहाँ | अकेली रोती छोड़ कर आभापुरी जाइए, लेकिन मैं आपको खोजते हुए अवश्य आभापुरी चली आऊँगी / मैं आपका पीछा नहीं छोडूंगी। जैसे चंद्रमा की चाँदनी चंद्रमा को छोड़कर कहीं नहीं जाती है, वैसे ही आप चंद्र को छोड़ कर मैं कहीं नहीं जाऊँगी। कहीं भी नहीं जाऊँपी। पिताजी, आपके दामाद के मन में मुझे छोड़ कर जाने की बिलकुल इच्छा नहीं थी, / लेकिन हिंसक मंत्री के तिरस्कारपूर्ण कठोर वचन सुन कर और स्वयं पहले से ही वचन बद्ध होने के कारण उन्हें मुझे छोड कर जाना ही पड़ा। पिताजी, मैंने जो कुछ भी आपको अभी सुनाया, वह शब्दश: सत्य है / आप फिर से पूछताच कीजिए और मेरी कही हुई बातों में थोड़ासा भी असत्य का अंश आपको मिला, तो आप खुशी से अपनी मनचाही सजा मुझे दीजिए। पिताजी, यह सारा षड़यंत्र सिंहलनरेश के मंत्री हिंसक का रचा हुआ है।" HTTTTTTTE P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036424
Book TitleChandraraj Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhupendrasuri
PublisherSaudharm Sandesh Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages277
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size225 MB
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