________________ चन्दन उगले आग इधर सुनन्दा भी कोई कम नहीं थी। वह किसी से घबड़ाने वाली नहीं थी, बल्कि नहले पर दहला थी। अतः वह भी जोर-शोर से बकवास करती हई अपनी बात पर अड़ी रही। इस प्रकार दोनों दासियों में अच्छी खासी झड़प हो गयी। दोनों सन्तुलन खोकर अनाप-सनाप बकने लगी। यहाँ तक कि बोलने के आवेश में किसी को भी विवेक या होश न रहा, अपितु होशोहवास खो कर आपस में लड़ने लगीं। ___अन्त में सुनन्दा ने आवेश में आकर कहा : "लेने हों तो दो फल ले लो वर्ना जा अपना रास्ता नाप। मैं किसी भी हालत में तुम्हें तीन फल देनेवाली नहीं, जा, तुमसे हो सो कर लेना।" इस तरह विमला को धुंकारती हुई दो फल फेंककर सुनन्दा चली गयी। विमला को इससे बड़ा दुःख हुआ। इसमें उसे अपना और अपनी रानी माँ का घोर अपमान हुआ - अनुभव हुआ। फलतः सुनन्द्रा पर वह कुपित हो गई। उसने भी फल वहीं फेंक दिये और उदास मुँह लेकर सुरसुन्दरी के महल लौट गयी। विमला को आयी देख सुरसुन्दरी बोल उठी : "अरे! तू आ गयी? आम्र फल कहाँ है?" पर विमला ने कोई उत्तर नहीं दिया। वह मुँह चढ़ाकर पाषाणवत् चुपचाप खड़ी रही। इस पर रानी ने पुनः पूछा : “अरी, तू इस प्रकार उदास क्यों है? और तेरी आँखों में ये आँसु कैसे? क्या उद्यान में कोई अनहोनी हो गई?" सुरसुन्दरी की बात सुनकर विमला मारे गुस्से के उबल पड़ी। उसने लगभग चीखते हुए कहा : "उदास न होॐ तो क्या नाचूँ? आज मेरा जो अपमान हुआ है, उसे मैं जिन्दगीभर नहीं भूल पाऊंगी और सूर्य भले ही पूर्व के बजाय पश्चिम में उग जाय मैं उसका प्रतिशोध लिये बिना चैन की नींद सो नहीं पाऊंगी। आखिर उसने मुझे समझ क्या रखा है अपने आप क्या समझती है... किन्तु सुरसुन्दरी के समझ में कुछ नहीं आया। वह पुनः बोली - "क्या किया सुनन्दा ने? जो कुछ कहना है शान्ति से कह, ताकि, बात समझ में आ सके।" अब मैं आपको क्या कहूँ, रानी माँ? उसने मेरा ही अपमान किया होता तो कोई बात नहीं थी। लेकिन उस दासी की बच्ची ने आपका भी अपमान किया है। उफ्! उसकी बातें स्मरण होते ही शरीर पर काँटे उभर आते हैं। तन-मन घणा से भर जाता है। मैं आपको किन शब्दों में समझाऊं?" विमला ने नमक मिर्च लगाकर अपनी बात को सत्य सिद्ध करवाने का प्रयत्न करते हुए तीव्र स्वर में कहा। 'तो क्या सुनन्दा ने मेरा भी अपमान किया? उसकी इतनी हिम्मत? मैं भी उसे बतादूंगी कि सुरसुन्दरी को छेडना महज अपने विनाश को न्यौता देना है। लेकिन मुझे बता तो सही कि उसने तुम्हें क्या कहा है?" विमला ने देखा कि तीर ठीक निशाने पर लगा है। तब उसने तुरन्त रोनी सी सूरत बनाकर कहना आरम्भ किया। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust