________________ Yo भीमसेन चरित्र तदनुसार कन्या के मामा सुशीला को साथ लेकर लग्न-मण्डप में उपस्थित हुए। सकुचाती, शर्माती सुशीला ने मंद गति से लग्न-मण्डप में प्रवेश कर भीमसेन के निकट पड़े चौरंग पर आसन ग्रहण किया। राजपुरोहित ने मंत्रध्वनि के बीच लग्नविधि पुनः आरम्भ की। पाणिग्रहण करा कर वर कन्या को सप्तपदी भरने का आदेश दे, सबकी उपस्थिति में सप्त पदी की विधि सम्पन्न की। उपस्थित सगे सम्बन्धियों ने सुशीला को निकट आ आशीर्वाद देते हुए मंद स्वर में कहा : "अखण्ड सौभाग्यवती हो... तुम्हारा सुहाग चन्द्र-सूर्य की भाँति अजरामर रहे।" लग्न विधि सम्पन्न होने के उपरान्त महाराजा मानसिंह और कमला रानी ठीक वैसे ही साली सुलोचना ने बड़े ही आग्रह और दुलार से वरराजा को कंसार खिलाया। ठीक उसी तरह बारातियों को यथेष्ठ प्रमाण में मिष्ठान्न परोसा। राजा मानसिंह ने बारातियों की अच्छी-खासी आवाभगत की। उनकी हर आकांक्षा पूरी की। उनकी सुख सुविधा की और विशेष लक्ष्य देकर उन्हें पूरी तरह संतुष्ठ किया। प्रत्येक का प्रेम पूर्वक स्वागत करते हुए उन्हें साग्रह भोजन करवाया। दो-तीन दिन यों ही आनन्द-प्रमोद में व्यतीत हो गये। राजा गुणसेन ने मानसिंह सें सप्रेम मृदु स्वर में कहा : "राजन् हमारी जो आवा भगत और स्वागत-सत्कार आपने किया है वह आजीवन चिर स्मरणीय रहेगा। कौशाम्बी बारात लाकर हमें आत्मिक insuraneman Mimm NO TAMANNA कारसामपुरा कौशाम्बी नगर के सभी नर-नारी बेबसी के साथ सुशीला को बिदाई दे रहे हैं। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust