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________________ 20 भीमसेन चरित्र थे। भीमसेन आयु में बड़ा होने के कारण उसे गुरूकुल पहले भेजा गया तथा दो वर्ष पश्चात् हरिषेण को भी शिक्षा-दीक्षा हेतु गुरूगृह भेजा गया। दोनों भाई कुशाग्र बुद्धिवाले थे। जन्म से ही उन्हें उच्च संस्कार प्राप्त हुए थे। फलतः गुरुकुल में दोनों भाई सभी विद्यार्थीयों में अलग ही नज़र आते थे। गुरू के द्वारा दिये गये पाठ को ध्यान से सुनते और मन ही मन उसका ठीक से मनन करते। कंठस्थ करने योग्य पाठ अवश्य कंठस्थ करते और जहाँ शंका उत्पन्न होती गुरू से उसका सही समाधान प्राप्त करते भी नहीं अघाते थे। वाद-विवाद और चर्चा सभा में प्रायः दोनों भाई सक्रिय भाग लेकर सदैव अग्रगण्य रहते और एक दूसरे को मात देने के लिये एक से बढ़कर एक अकाट्य प्रमाण प्रस्तुत करते नहीं थकते थे। वे प्रायः सुंदर व सटीक उत्तर देते। दोनों की प्रतिभा और बुद्धिमता 'नहले पर दहला' सूक्ति चरितार्थ करे ऐसी थी। दोनों ही सदैव प्रथम रहते थे। ___ क्या साहित्य और क्या शस्त्र-शास्त्र! प्रत्येक क्षेत्र में दोनों सदैव प्रथम् रहते थे।. ऐसे ज्ञानचेता विद्यार्थी भला गुरू के प्रिय शिष्य हो तो इसमें आश्चर्य की बात ही कहाँ थी। कभी कभी तो वे गुरु को भी पराजित कर देते थे। ऐसे समय, अपना शिष्य अधिक विद्वान और पण्डित होता जा रहा है, अनुभव कर गुरुदेव अपने आप में PHONPLUDIN Hom. N MINAR MOON RAT THATA प्राHिAIR arun PINATIirin होर सोमपुरा 72 कलाओं में निपुण बनकर - गुरुकुल से युवान एवं वीर बनकर, राजमहल में माता पिता को प्रणाम करते हुए दोनों कुवर P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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