________________ संसार एवं स्वप्न प्रायः हाजिर खडे रहते थे। दोनों ही बालक हँसते-खेलते व विहंसते देख, गुणसेन-प्रियदर्शना का हृदय गद्गद् हो उठता था। रात में दोनों बालक माता से लिपटकर सोते थे। कई बार भीमसेन पिताश्री के साथ सो जाता, परंतु हरिषेण तो माँ के अलावा किसी के.पास नहीं सोता, माँ ही उसके लिये सबकुछ थी, जी और जहान भी। समय व्यतीत होता गया। सोने चांदी के हाथी-घोड़ो से खेलते-खेलते धीरे-धीरे वास्तविक हाथी-घोड़ो की सवारी करने लायक हो गये। अश्वारोही सैनिक दोनों को दूर दूर तक घूमाने ले जाते थे, तो कभी कभार गजारोहण भी करते थे। भीमसेन हरिषेण से आयु में दो वर्ष बड़ा था। परंतु बड़े होने का बड़प्पन उसको स्पर्श तक नहीं कर गया था। वह हरिषेण के साथ प्रायः हम उम्र सा ही व्यवहार करता था। छोटे भाई से उसे अगाध स्नेह था और हर प्रकार से वह उसकी पसंद का विशेष रूप से ध्यान रखता था। हरिषेण भी अपने . ज्येष्ठ भ्राता का अत्याधिक आदर-सम्मान करता था। सदैव उसकी आज्ञा का पालन करता था। भाई के सामने वह सिर उठाकर नहीं देखता था, बल्कि हमेशा उसके प्रति विनम्र रहता था। दोनों भाइयों में अपार स्नेह व ऊ टूट प्रेम था। दोनों ही आपस में खूब हिलमिल रहते थे। जहाँ देखो वहाँ प्रायः साथ ही दिखाई देते TA हरि सोमवा दोनों भाई परस्पर शास्त्र चर्चा करते हुए और प्रसंगोपात गुरु को भी चर्चा में परास्त करते हुए। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust