SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 21
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 10 भीमसेन चरित्र अपना स्थान ग्रहण कर लिया था। समय होते ही दरबान ने आवाज लगायी, महाराज गुणसेन के आगमन की सूचना दी। राज कवियों ने स्तुति पाठ आरम्भ किया। ब्राह्मण वर्ग के आशीर्वचनों की गूंज से वातावरण गुंजारित हो उठा। गुणसेन ने प्रवेश कर राजसिंहासन पर आसन ग्रहण किया। प्रजा ने नतमस्तक खड़े हो राजा को प्रणाम किया और उसके सिंहासनारूढ होते ही सभी अपने अपने स्थान पर बैठ गये। राजा ने प्रसन्न वदन सर्वत्र दृष्टिपात किया। झरोखे में स्त्रीयों की बैठक थी। प्रियदर्शना वहाँ शरद् चन्द्रिका सी शोभित थी। .सभी उत्सुक और आतुर थे। सभी यह जानने के लिये अधीर थे कि महारानी ने क्या स्वप्न देखा है? व उसका फलादेश क्या होगा? ऐसी ही अधीरता और आतुरता प्रियदर्शना के मुख मंडल पर भी अंकित थी। वह निर्निमेष शकुन शास्त्रियों को देख रही थी। सर्वत्र नीरव शांति छाई हुयी थी। "हे विद्वजनों! आप सब राजगृही नगरी के अनमोल रल हैं। हमारे राज्य के भूषण हैं। आपकी प्रकाण्ड विद्वता से सरस्वती का दरबार भी विस्मित हो जाता है। मैंने . आपको आज एक स्वप्न का फलादेश जानने के लिये यहाँ आमन्त्रित किया है। विगत रात्रि के अन्तिम प्रहर में महारानी ने स्वप्न में दिव्य कांति युक्त एवम् परम मंगलकारी सूर्य का बिम्ब देखा है। कृपया इसका फलादेशकथन कर हमें उपकृत कीजिए।" U W OMहरि सोमा राज दरबार में राज ज्योतिषी, स्वप्न के फलादेश सुनाने हेतु पधारें - नगरी के लोग फल जानने के लिए उमड़ पड़े। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy