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________________ देव का पराभव 197 किसे अपनाया जाय? आत्म धर्म को या दया धर्म को? देव ने भीमसेन को धर्म संकट में डालने की योजना बनायी। भीमसेन जब गहरी निद्रा में लीन था। मध्यरात्री ने सर्वत्र अपना जाल फैला रखा था। सभी लोग नींद की आगोश में थे। अचनाक एक करुण स्वर हवा में गूंज उठा। ऐसा लग रहा था मानों किसी संतप्त नारी का आर्तनाद हो। स्वर धीरे धीरे गंभीर होता गया। शोकाकुल आवाज उसमें मिलने लगी। सुनने वाले का हृदय अनायास ही द्रवित हो जाय ऐसा करूण विलाप हवा में तरंगित था। हृदय को विदीर्ण करनेवाला स्वर भीमसेन के कानों से टकराया। सहसा आँखें खुल गयी। कान सतर्क हो गये। स्वर उत्तरोत्तर स्पष्ट होने लगा “अरे! अर्द्धरात्री भला कौन रो रहा है? ऐसा कौन सा दुःख होगा जिसके कारण वह करूण आक्रंदन कर रहा है? आवाज से तो लगता है कि हो न हो यह कोई स्त्री है, किन्तु कहाँ होगी? ऐसी कोन सी वेदना है जिसके कारण इस तरह क्रंदन कर रही है।" भीमसेन का दयालु हृदय हजारों शंका-कुशंकाओं से अचानक घिर गया। शय्या का परित्याग कर वह तुरन्त ही उठ खडा हुआ और आवाज की दिशा में कान लगा दिये। आवाज की करूणा ने उसके अन्तर्मन को अनजाने ही स्पर्श कर दिया और एक क्षण का भी विलम्ब किये बिना वह उस दिशा में आगे बढता गया। स्वर में शोक की गहरी वेदना उभरने लगी। भीमसेन लगभग दौड़ते हुए उस आवाज के समीप पहुँच गया। लालापट ANYA. PEXAM TALK AAI = -= हरि सोफेश अरे! बहिन तूं आधी रात को इस कदर क्यों रोती हैं? और तू हैं कौन? तुझे क्या आपत्ति आयी है? P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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