________________ 194 भीमसेन चरित्र मृदु, वायु और मादक संगीत का नशा। भीमसेन ने सहसा अपनी आँखें मूंद ली रति प्रसंग का अवलोकन करना प्रायः निषिद्ध माना जाता है। चाहे पशु-पक्षी, देव-दानव अथवा मानव का क्यों न हो? ऐसे प्रसंगों का अनजाने में भी दर्शन हो जाये तो व्रत भंग हो जाता है। पवन व संगीति ने संयुक्त रूप से भीमसेन पर आक्रमण कर उसकी देह सृष्टि ही झंकृत कर दी थी। जबकि उसकी नस - नस को वे शनैः शनै उष्ण कर रहे थे। भीमसेन सावधान हो गया। जरा सी लापरवाही से काम लिया तो वर्षों की साधना धल में मिलते समय नहीं लगेगा। उसने तत्काल ही नवकार मंत्र का जाप आरम्भ कर दिया। अपने मानस पटल पर वीतराग प्रभु की छवि अंकित कर ली। मन को नियंत्रण कर एकाग्र कर लिया। देव के इन्द्रजाल से उत्पन्न पवन व मादक संगीत पूर्णतया निष्फल सिद्ध हुआ। पतन के गर्त में गिरानेवाली आंधी को वह परख गया। अतः मन की चंचलता नियंत्रित करने के संकल्प के साथ वह शुभ ध्यान की ओर मग्न हो गया। तब देव ने आनन-फानन में एक सजीव जीवन्त सृष्टि का निर्माण कर दिया। भीमसेन अभी भी आँखे मूंदे एकाग्र चित हो कर आत्मध्यान में लीन था। ऐसे में अकस्मात एक अप्सरा ने समीप आकर भीमसेन के मुख पर हलके से अपने अंचल का पर्श किया। 11AMRUTVIAILI Inturin" WITHURMULTIN हरि-सोगाना उदासीन भावों से बैठे भीमसेन, निर्विकारी परमात्मा अरिहंत के गुणों के स्मरण में तल्लीन हैं - शुभध्यान में एकाग्र, शुद्ध भावों से आत्मिक सुखानुभव कर रह हैं। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust