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________________ भाग्योदय भीमसेन और विजयसेन वहां पहुँच आये। भीमसेनने केतुसेन को तुरंत उठाकर बाहों में ले लिया। और उसके गालों पर अनेक चुंबन भरने लगा। देवसेन को भी पुत्रस्नेह के वश हो, उसकी पीठ सहलाते हुए चुमा ली। पुत्रों को उस हालत में देखकर भीमसेन की आंखों से फूट-फूट कर आंसू बहने लगे विजयसेन की आंखें भी सजल हो आई। भीमसेन का हृदय एक ओर पुत्र मिलन से क्या ये राजकुमार हैं? राजगृही के ये ही राजवंश है? राजतेज और राजवी प्रभा कहा गई? अ हा हा! कैसे हो बैठे है फूल से ये कुमार! इनकी आंखों में तेज नही हैं, गालों पर सुरखी नहीं हैं, हाथों में कौवत नही हैं, अरे! दुसरा तो जाने दो पर पैरों में चेतना और हाम भी कहां हैं? कपडे तो देखो नहीं के बराबर हैं। हे भगवन् इनके शरीर में तो लहू और मांस भी दीखता नही, सचमुच हड्डियों के कंकाल घुम रहे हो ऐसा लग रहा है। अररर! ये बालक न जाने कितने दिनों से भूखे-प्यासे होंगे, लगता है इन कुमारों ने कभी राहत की साँस भी नही ली होगी। 'हाय रे विधाता! क्या कहूँ तुम्हे! इन बच्चों के सिवाय और कोई तुझे न मिला सो इन मासुमों पर सितम गुजारा' / भीमसेन का अन्तरं पल-पल विदीर्ण हो रहा था, तो साथ में आया मानव समुद भी इस करुणता से रो रहा था। पिताजी! पिताजी! आप कहां थे? आपके चले जाने / देखो हमारी कैसी हालत हो गई हैं। बिचारी मां की तो क्या कहे, उसका तो बुरा हाल देखा नही जाता। रो-रो कर आधी हो गई हैं , देवसेनने कहा। पिताजी! अब तो हमे कहीं नही छोडेंगेन? और हमें पेट भर खाना खिलाओगे न? अब हम से ज्यादा कष्ट सहन नही होता है पिताजी,! भीमसेन के सीने में लपकते हुए केतुसेनने कहा। नही बेटे! अब तो मैं तुम्हे छोडकर कही भी नही जाऊंगा। तुम्हे अच्छा-अच्छा खाना खिलाऊंगा, खेलने के लिए रोज नये-नये खिलौने ला दूंगा। अब तो मैं तुम सब को आनंद और उमंग में रखूगा। बेटा देवसेन! तुम्हारी माताजी कहा है? विजयसेनने पूछ। कौन माँ? मां तो सुबह-सुबह हमको छोडकर काम करने चली जाती है। वापस साँम को ही लौटती है, देवसेनने कहा। कहां काम करती है बेटा! विजयसेनने कहा। ____ काम तो दो-चार घरो में करती है, इस समय नगरशेठ की हवेली पर काम कर रही होगी। उनके वहां बडा उत्सव हैं, अतः काम भी ज्यादा किया करती हैं। "बिचारी मेरी मां तो अधमुई हो गई है।" भारी निःश्वास छोड देवसेन कहने लगा। बेटा! आज से तुम्हारी मां को काम नही करना पडेगा, और तुम भी दुःखी नही होंगे। P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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