________________ 140 भीमसेन चरित्र फल स्वरूप बन्दर और जोर से आवाज करके उछल कूद करने लगा। भीमसेन ने उसे .. पत्थर मारा तो बन्दर निशाना चूका कर एक ही छलांग में दूसरे पेड़ पर जा पहुंचा। भीमसेन भी उसके पीछे दौड़ा और चुपके से पेड़ पर चढ़ गया परन्तु जैसे ही वह बन्दर र तक पहुँचा कि उसने दूसरे पेड़ पर छलांग लगा दी। इस तरह बन्दर के हाथ से कंथा छुड़वाने के लिये उसने भरसक प्रयल किया, परन्तु उसकी पवन वेगी छलांगों के कारण भीमसेन सफल नहीं हो सका। बन्दर एक पेड़ से दूसरे पेड़ और दूसरे से तीसरे पेड़ पर कूदते फाँदते उसकी आंखो से ओझल हो गया। ____ अब कथा मिलने की लेशमात्र भी आशा नहीं रही। भीमसेन का हृदय विदीर्ण हो गया। घोर निराशा ने उसको घेर लिया। उसके मुख पर विषाद की रेखाएँ स्पष्ट दिखाई देने लगीं। भग्न हृदय हो, वह मन ही मन सोचने लगा : "अरे भगवान! यह मेरी कैसी जिन्दगी है? अभी तो मैंने सुख की साँस भर ली थी। तभी तुमने मुझे दुःख का दीर्घ . निश्वास लेने के लिये विवश कर दिया?" कितनी उमंग व उत्साह से मैं स्नान कर रहा था? मैंने अपने हृदय में कितने अरमानों को संजोये रखा था। सुशीला की स्मृति मात्र से मैं कैसी स्फूर्ति का अनुभव कर रहा था। प्रदीर्घ समयावधि के पश्चात् अपने परिवार से मेरा मिलन होगा। पास में पर्याप्त धन होने से गरीबी व दरिद्रता का अन्त आ जायगा। हमेशा सुख की रोटी होगी... सुख चैन की नींद होगी। बालकों को लाड प्यार से लालन पालन करूगा। न जाने कैसा रम्य स्वप्न मैंने देखा था? परंतु हाय! मेरे भाग्य में तो कुछ और ही लिखा है। मैं सुख की तलाश करता हूँ, तो भाग्य मुझे दुःख ही देता है। उफ! मैं भी कैसा मूर्ख! कंथा रखकर स्नान करने गया। ऐसा नहीं किया होता तो आज यह दिन देखना न पड़ता... मेरी ऐसी दयनीय दशा नहीं होती। किनारे लगी नाँव यो अकारण नहीं डूबती? परन्तु नहीं! स्नान तो मात्र निमित्त है। मेरा भाग्य ही खोटा है। मेरे पूर्व भव के अशुभ कर्मों का उदय आज सोलह कलाओं के साथ खिल उठा है और उन्ही कार्यों का प्रतिफल भी आज मैं भोग रहा हूँ। परन्तु यों कब तक दुःखों के बादल बरसते रहेंगे? कब तक भाग्य मुझे खिजाता रहेगा? अब तो ये यातनाएँ सहन नहीं होती। सुशीला का दुःख देखा नहीं जाता। बेचारे बालक! फूल जैसे कोमल हैं। खिलने का अवसर आया उससे पूर्व ही वेदनाओं व दुःखों की धूप में कुम्हला गये। मासूम बालकों की असहाय नज़र। उनका रूदन और आँसू... हे भगवान! मेरे हृदय को दीर्ण-विदीर्ण कर देते हैं। ITTERT P.P.AC. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust