________________ भीमसेन चरित्र सेठ यह सब तमाशा देख उब गया। फिर भी वह भद्रा को समझाने की चेष्टा कर रहा था : बेकार रो रही हो, वास्तव में ये लोग ऐसे नहीं है? तुम व्यर्थ ही इस पर शक कर रही हो। तनिक शांत होकर घर में ही सामान ढढने की कोशिश करो। कही कोने कुचे में डाल दिया होगा।" सेठ को सुशीला का इस तरह पक्ष लेते हुए परिलक्षित कर भद्रा का सन्देह और पक्का हो गया। वह पुनः कुविचारों के गहरे गर्त में गोते खाने लगी। जरुर इस दासी ने मेरे पति पर कोई जादू कर दिया है। और सेठ भी उसके रुपजाल में बुरी तरह फंस गये है, वर्ना इन दुष्टों की खबर लेने के बजाय उलटे मुझे ही सीख दे रहे है। अतः अब हमें उनकी ही धुल निकालनी होगी। अतः वह बिफरी हुई शेरनी की नारी तड़क कर बोली और हाँ,... हाँ... कहो न! मैने ही गहने चुराये है। मैं तुम पर मिथ्या आरोप लगा रही हूँ। किन्तु उसने अभी मुझे नहीं पहचाना। वर्षों से मैं आपकी दासी बन सेवा करती आ रही हूँ, तिस पर मैं मिथ्या प्रलाप कर रही और यह-कल की छोकरी सत्यवादी बन गयी है। अरेरे! अब मैं अपना दुःख किसके आगे रोॐ। जहाँ पति ही किसी के रुपजल में फस गया तो वहाँ उसकी सगी का भला कौन सुनता है अरेरे, मैं तो इस छिनाल दासी से भी गयी बीती हो गयी हूँ। मुझे तो इसने बर्बाद कर दिया। एक, एक बर्तन बेच Aslim Any 5 अरे! इस बदमाश औरत ने मेरे सारे गहने चोरी कर लिए, बिफरी हुई शेरनी की तरह लोगों की भीड़ के बीच, तडकती हुई शेठाणी। P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust