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________________ भीमसेन चरित्र मारे उसका मस्तक झुक गया और कहीं नौकरी से हाथ धोना न पड़े इस डर से पर्याप्त मात्रा में भयभीत हो गया। "नहीं! नहीं! सेठजी ऐसा मत कहीये। आप तो दयालु हो। यदि आप ने मुझे नौकरी से निकाल दिया तो मैं कहां जाऊँगा मेरा क्या होगा? मैं तो आपका बालक हूँ। सचमुच आप मुझ पर गुस्से न हो। मैं अब बराबर मन लगाकर काम करूगा। और भविष्य में आपको शिकायत करने का मौका नहीं दूंगा।" लक्ष्मीपति को उस पर दया आ गई। उन्होंने कुछ क्षण मौन धारण कर कहा : "ठीक है एक मौका और देता हूँ। अब काम में मन लगाना। आग जैसे कठोर बनकर उधारी वसूल करना।" तत्पश्चात् भीमसेन ध्यान लगाकर काम करने लगा, उधारी वसूल करने में भी कटु शब्दों का प्रयोग करने लगा। इस तरह उसकी गाड़ी चलने लगी। . परंतु विधि की लीला ही न्यारी होती है, भला यह सब कहाँ मान्य था? अभी तो वह उसे और कसौटी पर कसना चाहती थी। एक दिन की बात है, सेठजी शौच के लिये घर आये। उन्हे निबटने की जल्दी थी। अतः लोटे भर पानी की गरज थी। इधर भद्र अपने कमरे में थी। अतः सुशीला ने पानी भर कर दिया। शौच से लौटने के बाद सुशीला ने उनके हाथ पैर धुलवाये तभी सहसा सेठजी की नजर सुशीला पर पड़ी। वह उसके निस्तेज शरीर को करूणा व निर्दोष भाव से निर्निमेष नयन देखने लगे। सेठानी ने उपर से यह दृश्य देखा, उसके हृदय में अनायास ही ईर्ष्या व जलन के भाव पैदा हो गये। क्षणभर में हजारों कुविचारों के कीड़े उसके मन में कुल बुला गये। वह मन ही मन सोचने लगी : सेठ कहीं सुशीला के रूप पर आसक्त तो नहीं हो गये है, मुझे समय रहते सचेत हो जाना चाहिए। कहीं ऐसा न हो कि, एक दिन सुशीला सेठानी बन जाय और मुझे धकिया कर घर से बाहर कर दें। जब कि सुशीला व सेठ के __ मन में ऐसे विचार लेशमात्र भी नहीं थे। परंतु भद्रा जो ऐसा मान बैठी थी और सौतन की कल्पना करते ही सर से पांव तक वह सुलग उठी। फल स्वरूप उसने मन ही मन निश्चय कर लिया कि अब एक पल भी सुशीला को घर में रखना, सहज अपने पाँव पर आप कुल्हाडी मारना है और यह निगोड़ी मेरे पति को वश में कर मेरा घर संसार उजाड़ते विलम्ब नहीं करेगी। ____ और उसने अपनी धि को सोचने के लिये खुला छोड़ दिया। इधर उसने उसका हल भी तुरंत खोज निकाला। तदनुसार बडी सफाई से उसने एक एक करके घर में रहे सब बर्तन और वस्त्रालंकार अपने पीयर पहुँचा दिये। एक दिन भरी दुपहर में सेठजी सब भोजन करने के लिये घर आये तब उसने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036420
Book TitleBhimsen Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherArunoday Foundation
Publication Year1993
Total Pages290
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size241 MB
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