________________ आगमो द्वारककृतिसन्दोहे // 35 // . विधवावेश्यादिभिश्च सङ्गमः॥२४॥द्यूतमद्यपलासक्ति-जनमान्यावहेलना। नृपामात्यपुरश्रेष्ठि-सेनानीदलकुत्सनम नमूगीकृत्यम् // 25 // ज्ञातिवृद्धकलाचार्य-भर्तृसब्रह्मचारिणां / अनादरो भक्तिहानिस्तेषामेव च गोत्रिणाम् // 26 // मातापित्रोरनमनं, विनयस्याप्रयोजनम् / आन्तराप्रतिबद्धत्व-मवर्णों भक्तिशून्यता // 27 // महतो बान्धवस्यापि, तज्जायाया लघोरपि / सोदराणां लघूनां सभार्याणां योग्यताक्रमात् (त्ययः) // 28 // विश्वस्तवञ्चनं गर्या, क्रिया द्रव्यसमजने / गौँः क्रिया व्यवहृतेः, परभालविदर्शिता // 29 // प्रकटं स्वस्त्रिया सार्थ, संलापादिक्रिया चिरं / प्रीतिक्रियामतिक्रम्य, वर्तनं च तया सह // 30 // तीवो ग्रहः समाचार-लोपो लजा-IA विहीनता / पुत्रादेः क्रीडनं व्यक्त-तमं त्यक्त्वा क्रियां पराम् // 31 // स्त्रीणां स्वातळ्यमर्थस्य, योगो मानातिगस्य यः। नीतिलजासदाचारा-शिक्षितिः साम्यशून्यता // 32 // सदेवानां गुरूणां या, मानभक्ति क्रियाक्षतिः। सत्यर्थे या तदर्चायां, कार्पण्यं लोभतः द्वयम् // 33 // जीर्णशीर्णस्य चैत्यस्य, पौषधावसथस्य च / अनाथानां निराधार-बालानां निलयस्य च // 34 // सत्यां शक्तावनुद्धारो, नूतनस्य त नया क्रिया। न ज्ञानसाधनोद्धारो, लेखशाला क्रिया नया // 35 // अशक्तानां पशनां या. रक्षा नाति | शिष्टितः / भारोद्वाहोऽनपानादि-क्रियाया यदुपेक्षणम् // 36 // सम्बन्धिनामसत्कार-मनुद्धारश्च दुःस्थितेः / / निर्धनानां कुलीनाना-मनिर्वाह उपेक्षणम् // 37 // भ्रातॄणां भ्रातृपत्नीनां, भगिन्यास्तत्पतेरपि / नोद्धारः / / सति निःस्वत्वे, पितृव्यादेर्यथोचितम् // 38 // दासस्य श्रेष्ठिनः सख्युर्विपत्तेह्यनुतिः। कलाचार्याः || सहाध्याया, नोद्धियन्ते बलोद्भवे // 39 // रक्षकीभूय विभवे, परेषां तस्य भक्षणं / नाशस्योपेक्षणं II | कार्ये, स्वस्य व्यापारणं तथा // 40 // देवादिद्रव्यरक्षायां, नियुक्तोऽनुचितव्ययी / कदर्यः सति द्रव्येपि .. त तनियुक्तः स्वकार्यकृत् // 41 // विक्रीणीतेऽनवद्यां यो, विद्यां धर्मक्रियां तपः। दानादितीर्थयात्रांच, In DEP.AC.Gunratnasuri M.S. . . Jun Gun Aaradhak TruSTI