________________ आगमी गुणग्रहण- . किं स्यात् // 30 // बोधार्थ तु परेषामभियुक्ताः शुद्धमार्गसंसक्ताः / सामान्येनैव चक्रुजिनानां स्तुति | शतकम् सङ्गताम् // 31 // व्यक्तेनिन्दात्मनः कुर्यात् , सद्वेष प्रस्तुते नरि। तथा च धर्मभूभीनां, मैत्र्यादीनां H द्वारककृति- कथं भवः ? // 32 // मैञ्यादिरहितं सर्व, स्यानिरर्थकमेव तत् / मैन्यादिभावयुक्ता यत्, कृतिसन्दोहे धर्म इतीरिता // 33 // अदेवा ऽ गुर्वधर्माणां, या व्याख्या साऽपिनो हिता। व्यक्तिद्विषत आख्याता, किन्त्वन्योपकृतीप्सया // 34 // अत' एमोदितं देश-कालक्षेत्रसभानरान् / अपेक्ष्य विदिशेद्धर्म, क्रोधं यायात्परोऽन्यथा // 35 // ब्रूयाद्धर्म मुनिः सम्यग्ज्ञानाद्याचारपावितं / तत्रापि रोषपोषश्चेद् , दुष्टानां ते हताः स्वयम् // 36 // या तु शर्वादिनाम्नास्ति, वार्ता तद्वृत्तवाचिनी / सापि भव्यावबुद्धयै न, पराभूत्यै कथश्चन // 37 // विद्याज्जन्तुरनिर्दिष्ट, नेति प्रोक्ताऽभिधाऽस्य च / तथा च मतमाश्रित्य, सामान्येन समं वदेत // 38 // अन्यच्च कारणं प्रोक्तं देवत्वादौ परैर्यकत। तकदृष्टत्वहेतश्चेत, तत्कथा नार्थबाधिनी II // 39 // तोलयेत्स्वास्यतुलया, गुगस्वर्गोच्चये सति / कोऽन्यदोषाऽयसां पिण्डं, लाभालाभविचक्षणः ? // 40 // N विदन्नात्मानमगुण-मनादितोऽस्य यत्स्थितिः / गुणलेशमवाप्यासौ, कुर्याद्रिक्त पुनः कथम् ? // 41 // IM कर्मणां बलीयस्त्वं स्याद् , यावत्तावन्न बोधिभांक् / सर्वेष्वदः समं मत्वा, न द्विष्यानिर्विजेन च // 42 // प्रयोजनमनुदिश्य, न मन्दोपि.प्रवर्तते / इति न्यायपदं जानन् , कोन्यावर्णे प्रवर्तते ? // 43 // न नाम निन्दका ह्यास्या-द्वाग्गरं पतितं भुवि / स्वस्यान्येषां हिताधायि, तदवणे फलं किमु ? // 44 // नैवं स्यादु नतिः स्वस्य, विरसा स्याद् विपाकतः। परात्मनिन्दाशंसादि-नीचैगोत्रेऽङ्गिनं क्षिपेत् // 45 // नैवं गुणागुणौ IS तुल्यौं, न नेक्ष्यौ तौ मनीषिभिः। स्वान्यलाभप्रदां बुद्धया, विचार्याऽयतिमाचरेत् // 46 // सतां जन्मो पकाराय, कोऽसौ स्याद्दोषभाषणे / स्वस्य स्याचेन्न कि चक्ति, दोषानात्मनि संस्थितान् ? // 47 // P.P.AC.Gunratnasuri M.S. ' Jun Gun Aaradhak Trust