________________ IN/ हत्थाणं, धरणं तेसि सुन्दरम् // 31 // दुगावहारण एत्थ, दट्ठव्वं वेसहारणं / वित्ताणुरूवमेसो वि, IS भागमो. वेसमहप्पं अवस्सं वित्तमाणओ (ओत्ति य) // 32 // वित्तं तुवलक्खणाओ, जाईकुलसिप्पमाइयं / अणेगहा सयं धीइ, Ki द्धारककृति- करणे वेसकारणं // 33 // सपक्वपक्खवाओ जं, सव्वेसिं अणिवारिओ / गुणाहाणं, च साहेजं, तेण लभइ सन्दोहे || | सव्वसो // 34 // विस्सासस्स जओ हेऊ, वेसो ताव समीहिओ / तो सभूमिसमाजोग्गं, वेसं धारिज कोविओ // 35 // जहा कूडो कओ वेसो, लोगाणं गरिहापयं / तहा जोग्गो विसंभस्स, हेऊ संदेहवज्जिओ // 36 // तत्तो चेव जिणिदेहि, निग्गंथाणणगारिणं / अक्खाओ नियओ वेसो, भव्वाणं हियहे यवे // 37 // एवमेव गिहत्थेहि, निययं वेसधारणं। वित्तं जाई कुलं सिप्पं, समुद्दिस्स विहीजए // 39 // al अजोग्गे विहिए वेसे, विस्सासो केण किञ्जइ / भूवेणं हम्मएनेसिं वेसं काऊण वट्टओ // 38 // साहूणं वि जहारूवं, णेवत्थं वणियं सुए। तो गिहत्थेण विन्नेण, जइयव्वं तत्थ किं णहि ? // 40 // एवं, वेसमहप्पमप्पमइए भो ! विण्णया विक्खि विस्संभिकनिमित्तमप्पसुहयं सज्जाइसिप्पस्सियं / आणंदोदहिदेसियं विहविधाहारेण वेसं सया, धारेहत्थ जिणुत्ततत्तरुइला धम्मप्पयत्थुजुआ // 40 // इइ वेसमहप्पं // शिष्यनिष्फेटिका (9) नत्वा नम्यं सुरेशानां, सार्व विरतिदेशकं / शिष्यनिष्फेटिकां सम्यग्, वक्ष्ये भव्यानुकाम्यया // 1 // KI B. महाव्रतधराः शास्त्रे, गुरखो गदिताः बुधैः / पञ्च तानि वधादिभ्यो, विरतेः स्युर्महात्मनाम् // 2 // अत्राहुराईताः केचि-द्यथा संयमवृद्धये / हिंसादिषु पदद्वैतं, नादत्तविरतो किमु ? // 3 // संयमार्थ यथा नद्या, A // 14 // उत्तारः शास्त्रकृन्मतः / मृगादीनां च रक्षायै, साधोर्वादो मृषापि हि // 4 // तथा संयमवृद्धयर्थ, शिष्य- IA P. Ac. Gunratnasuri M.S.. Jun Gun Aaradhak Trust