________________ आगमो // 12 // कियद्वक्तुं च शक्यते // 26 // श्रीमन्तो जिनशासनोक्तिनिरताः श्रीमत्तपोगच्छगाः, सद्धर्माचरणोद्यता 1 जा अविहताचार्यावलौ वर्तिनः। मान्याः साधुवराः गणीश्वरमुखाः सङ्घन शास्त्रानुगे नेक्ष्यन्ते भवभीरुभिर्जिनपतेमागे वेसमाइप्पं द्वारककृति-मा श्रयद्भिः सदा // 27 // मासकल्पस्य मर्यादां, मन्वानाः शक्तितः पुनः। कुर्वाणास्तां लभेयुर्दाग, मनोमा महानन्दपदं परम् // 28 // इति मासकल्पसिद्धिः। .. वेसमाहप्प (8) ___ अपौलिकतां बिभ्रदूपातीतोऽपि यो लसन् / निर्वेषो वेषनिर्देशी, स श्रिये वो जिनः सदा // 1 // व वत्थुणो दुविहं रूवं. बज्झमन्भंतरं तहा। संपवे नजइ(ए) मज्झं, वज्झाओ होई. संथवो // 2 // HI जगे जीवा तिहा वुत्ता, बालमज्झिमपंडिया / आइमा तत्थ बहवे, दुवे थेवा य सेसगा ॥३सा लिंगमेव HI समुद्दिस्स, बाला वत्थुविणिच्छयं / कुणं ति बज्झगं तेणं, विण्णा तं न उवेक्खए // 4 // अभिजुत्तेहि IA ID तो दिडं, बहिरायारसेवणं / बालाणं पुरओऽवस्सं, ते बोहिं तेण बुज्झए // 5 // जे उ निच्छयमल्लीणा, I ISi केवलं, न जिणाणुगा / ते जेण सत्यनिदिहा, दुवेत्थ साहगा गया // 6 // किंचोद्दिढ सुए लिंग, पसत्थं जो न धारए / देसओ नियमा मिच्छं, सोयारं सो उ पावए // 7 // हरिभद्देहि तो वुत्तं, देसणा ठाणवज्जिया / पावहेऊ भवभंतिकारणं सत्थसजिआ // 8 // जहा मग्गाणुसारीणं, जीवाणं मग्गदेसओ। संभंतोऽणंतसंसारं सुत्तसिद्धो गणीसरो // 9 // अण्णं च केवलं पत्तं, चकिणा भरहेणिह / आरिसावसहत्थेण, भावणाभिष्णकम्मुणा // 10 // सक्खं नाऊण तं सक्को, आगओ भत्तिनिब्भरो। सुस्मृसिङ // 12 // महानाणी, सोहम्माओ सुरालआ. // 11 // तहावि तेण सो वुत्तो, भयवं लिंगधारणं / करेह समणाणं Jun Gun Aaradhak Trust . 100P.AC. Gunratnasuri M.S! ......